नई दिल्ली। मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप मे जेल में बंद आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार में पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन ने जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। जैन की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में जमानत याचिका दाखिल की गई है। बता दें कि इससे पहले दिल्ली […]
नई दिल्ली। मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप मे जेल में बंद आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार में पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन ने जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। जैन की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में जमानत याचिका दाखिल की गई है। बता दें कि इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने AAP नेता को जमानत देने से इनकार कर दिया था।
दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री और आप नेता सत्येंद्र जैन मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में इस वक्त दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं। हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी। हाईकोर्ट से झटका लगने के बाद अब जैन ने अपनी जमानत के लिए देश की सबसे बड़ी अदालत का रुख किया है।
Former Delhi minister Satyendar Jain moves Supreme Court seeking bail in money laundering case against him. He has challenged Delhi High Court order dismissing his bail plea in the money laundering case against him.
(File Photo) pic.twitter.com/GRfXX3Ufrz
— ANI (@ANI) May 15, 2023
बता दें कि इससे पहले तिहाड़ जेल संख्या 7 के सुपरिंटेंडेंट को एक चिट्ठी लिखी है, जिसमें जैन ने कहा है कि वह इन दिनों काफी अकेलापन महसूस कर रहे हैं, इसलिए उनकी सेल में एक-दो दूसरे कैदियों को भेजा जाए।
बताया जा रहा है कि सत्येंद्र जैन ने ये चिट्ठी 11 मई को लिखी थी, जिसमें पूर्व मंत्री ने कहा कि मनोचिकित्सक ने उन्हें अकेला नहीं रहने की सलाह दी है। जैन की इस गुजारिश के बाद जेल के सुपरिंटेंडेंट ने उनके सेल में दो कैदियों को ट्रांसफर भी कर दिया। हालांकि, बाद में जैसे ही इसकी जानकारी तिहाड़ जेल के वरिष्ठ अधिकारियों को हुई, उन्होंने तत्काल कैदियों को AAP नेता के सेल से वापस भेज दिया।
जानकारी के मुताबिक, जिस जेल अधिकारी ने कैदियों को सत्येंद्र जैन के सेल में भेजा था, उसके खिलाफ तिहाड़ जेल प्रशासन ने कार्रवाई की कवायद शुरु कर दी। तिहाड़ जेल के सुपरिटेंडेंट पर आरोप है कि उन्होंने जेल नियमों का उल्लंघन कर कैदियों को सत्येंद्र के सेल में भेजा। इसके साथ ही उन्होंने इस फैसले को लेकर अपने वरिष्ठ अधिकारियों से कोई परामर्श भी नहीं लिया।