सियासी बाहुबलियों की लाज बचाने मैदान में उतरी पत्नियां, आनंद मोहन से लेकर अनंत सिंह तक देखें लिस्ट

पटना: Mokama Byelection: मोकामा विधानसभा उप चुनाव एक ऐसे युद्ध में बदल गया है जहां बादशाह की रथ पर सवार होकर युद्ध के मैदान में उनकी बीवियां लाज बचाने के लिए उतरी हैं. भाजपा और आरजेडी की ओर से यहाँ जो उम्मीदवार मैदा में उतारे गए हैं उनकी पहचान फिलहाल तो अपराध की दुनिया के […]

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सियासी बाहुबलियों की लाज बचाने मैदान में उतरी पत्नियां, आनंद मोहन से लेकर अनंत सिंह तक देखें लिस्ट

Aanchal Pandey

  • November 2, 2022 6:10 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

पटना: Mokama Byelection: मोकामा विधानसभा उप चुनाव एक ऐसे युद्ध में बदल गया है जहां बादशाह की रथ पर सवार होकर युद्ध के मैदान में उनकी बीवियां लाज बचाने के लिए उतरी हैं. भाजपा और आरजेडी की ओर से यहाँ जो उम्मीदवार मैदा में उतारे गए हैं उनकी पहचान फिलहाल तो अपराध की दुनिया के बादशाह रहे उनके पति से है, ऐसे में यहां दिलचस्प यह है कि प्रत्याशी बनकर जब चुनावी मैदान में जो बादशाहों की पत्नी उतरी हैं तो जीत तो किसी एक बादशाह की होनी ही है.

इन लोगों ने भी अपनी बीवियों को मैदान में उतारा

बादशाह के रथ पर सवार होकर चुनाव लड़ने वाली बीवियों का यह कोई पहला मुकाबला नहीं है, इसका तो एक लम्बा चौड़ा इतिहास रहा है. बाहुबली आनंद मोहन ने भी अपनी जगह लवली आनंद को चुनाव में उतारा था इसके बाद लवली आनंद सांसद बनीं और बाद में विधायक बन गई. मुन्ना शुक्ला ने भी अपने रथ पर अपनी पत्नी अनु शुक्ला को चुनावी रण में उतारा था, इसके बाद अनु शुक्ला भी विधायक बनीं. इसी तरह राजबल्लभ यादव ने अपनी पत्नी विभा देवी को चुनावी मैदान में उतारा था हालांकि तब वो सांसद तो नहीं बनीं, पर विधायक बन गई. वहीं, सुनील पांडे ने अपनी पत्नी गीता पांडे को तरारी विधानसभा से चुनावी रण में उतारा था लेकिन वो विधायक नहीं बन पाई. यहीं नहीं, बिंदी यादव ने भी अपनी पत्नी मनोरमा सिंह को विधान पार्षद बनाया, साथ ही अखिलेश सिंह ने अपनी पत्नी अरुणा देवी को विधायक बनाया था.

इसी कड़ी में राजेंद्र यादव ने अपनी पत्नी कुंती देवी को विधायक बनाया, शाहबुद्दीन की पत्नी हीना साहेब भी चुनावी मैदान में उतरी लेकिन तब वो जीत का डंका नहीं बजा पाई. अरुण यादव ने अपनी पत्नी किरण देवी को चुनावी मैदान में उतारा और यहाँ से जीत हासिल कर वो विधायक भी बनी. रमा सिंह ने अपनी पत्नी वीना देवी को यहाँ से विधायक बनाया और फिर जीत हासिल कर वो सांसद बनी. बुटन सिंह ने अपनी पत्नी लेसी सिंह को विधायक बनाया और बाद में वो मंत्री भी बनी, अब हाल में भुअर ओझा ने अपनी पत्नी मुन्नी देवी को विधायक बनाया है.

क्यों पत्नियों को उतारा जा रहा मैदान में

मसलन पूरी बात का निचोड़ बस इतना है कि ऐसे कई बाहुबली हैं जो अपनी पत्नी को चुनाव में उतारकर सफल होते रहे हैं. अब यह ट्रेंड चल गया कि खुद चुनाव लड़ने में सक्षम नहीं है तो पत्नी को मैदान में उतार दीजिए, अगर हार गई तो भी ज्यादा बेइज्जती नहीं होगी और अगर जीत गई तब तो हाथों में लड्डू है है, अब ऐसा ही प्रयोग मोकामा में भी देखने को मिल रहा है.

मोकामा में कांटे की टक्कर

मोकामा विधानसभा का उप चुनाव भी दो बहबालियों की बीवियों के बीच है दोनों में कांटे की टक्कर है ऐसे में इलाके में तनातनी का माहौल बना हुआ है. मौजूदा समय में कुछ ऐसी चुनावी स्थिति बन गई है कि मुख्य मुकाबला महागंठबंधन की तरफ से ताल थोक रहीं चार बार विधायक रहे अनंत सिंह की बीवी नीलम देवी हैं तो दूसरी तरफ बाहुबली ललन सिंह की पत्नी सोनम देवी हैं, बता दें ललन सिंह भी मोकामा विधानसभा से कई बार अनंत सिंह से टकरा कर हार का सामना कर चुके हैं और अब यही बात नीलम देवी के प्लस में जा रही है. ललन सिंह की पत्नी सोनम देवी के हक में एक बात यह है कि इस बार भाजपा की उम्मीदवार हैं और हाल ही में हुए तख्तापलट के बाद मोकामा की ये लड़ाई इस समय साख की लड़ाई है, ऐसे में भाजपा गोपालगंज और मोकामा सीट को जीतने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है. गौरतलब है, हाल ही में लोकजनशक्ति पार्टी नेता चिराग पासवान ने भी ऐलान कर दिया था कि वो इन दोनों सीटों पर हो रहे उपचुनाव में भाजपा की तरफ से प्रचार करेंगे. जबकि नीतीश बाबू पहले ही चुनाव प्रचार से पलड़ा झाड़ चुके हैं, दरअसल सुशासन बाबू ने अपनी चोट का हवाला देते हुए इस चुनाव प्रचार से दूरी बनाई है.

 

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