नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने नागपुर में आयोजित कटाले कुल सम्मेलन में भारत की जनसंख्या को लेकर अपने विचार रखे. इस दौरान उन्होंने कहा कि जनसंख्या में गिरावट समाज के लिए चिंताजनक है. भागवत ने यह भी कहा कि यदि जनसंख्या वृद्धि दर 2.1 से कम हो जाती है तो समाज का पतन निश्चित है और इसे नष्ट करने के लिए किसी बाहरी शक्ति की आवश्यकता नहीं है।
मोहन भागवत ने इस विषय पर बात करते हुए कहा कि विज्ञान का यह मानक है कि यदि जनसंख्या जनसंख्या दर 2.1 से नीचे गिरती है तो वह समाज अपने आप को समाप्त कर लेता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कई भाषाएं और समाज इसी कारण से समाप्त हो गए। भागवत के अनुसार, भारत की जनसंख्या नीति वर्ष 2000 के आसपास तय की गई थी जिसमें यह स्पष्ट किया गया था कि देश की जनसंख्या वृद्धि दर 2.1 होनी चाहिए। जनसंख्या वृद्धि के महत्व पर जोर देते हुए भागवत ने कहा कि मानव जन्म दर को 1 पर नहीं रखा जा सकता है, इसलिए कम से कम 2 या 3 बच्चे पैदा करने चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सही जनसंख्या वृद्धि दर बनाए रखना देश के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है।
उनका यह बयान समाज में जनसंख्या नीति के बारे में जागरूकता बढ़ाने का एक प्रयास है ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। आपको बता दें कि इस संबोधन के जरिए संघ प्रमुख ने संदेश दिया कि जनसंख्या की संतुलित वृद्धि समाज की स्थिरता और प्रगति सुनिश्चित करती है. जनसंख्या वृद्धि दर में गिरावट न केवल आर्थिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी हानिकारक हो सकती है और यह हमारे देश के भविष्य को प्रभावित कर सकती है।
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