26 जनवरी को केरल में ही तिरंगा फहराएंगे संघ प्रमुख मोहन भागवत, 15 अगस्त की तरह हंगामा नहीं कर पाएगी लेफ्ट सरकार

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने 15 अगस्त 2017 को केरल के पलक्कड जिले में ही सरकार स्कूल में तिरंगा फहराया था. इस पर लेफ्ट सरकार ने स्कूल से काफी पूछताछ की थी. लेकिन केरल की लेफ्ट सरकार के लिए इस बार ऐसा संभव नहीं हो पाएगा. संघ प्रमुख ने प्रशासन से इसकी परमिशन भी नहीं ली है लेकिन फिर भी सरकार कुछ नहीं कर पाएगी.

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26 जनवरी को केरल में ही तिरंगा फहराएंगे संघ प्रमुख मोहन भागवत, 15 अगस्त की तरह हंगामा नहीं कर पाएगी लेफ्ट सरकार

Aanchal Pandey

  • January 7, 2018 9:52 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत 26 जनवरी को केरल के स्कूल में तिरंगा फहराएंगे. 15 अगस्त 2017 को संघ प्रमुख मोहन भागवत ने केरल के पलक्कड़ में एक सरकारी स्कूल में तिरंगा फहराया था, तब केरल की वामपंथी सरकार ने काफी विरोध किया था. स्कूल के लिए काफी मुश्किल हो गयी थी, अब तक स्कूल के अधिकारियों को तमाम तरह के जवाब देने पड़ रहे हैं. मोहन भागवत एक बार फिर केरल जा रहे हैं और इस बार तिरंगा 26 जनवरी को फहराने का कार्यक्रम है.

जिला भी वही है पलक्कड़, पिछली बार इसी जिले में मोहन भागवत ने तिरंगा फहराया था, लेकिन वो सरकारीं स्कूल था, इसलिए परमिशन आदि को लेकर सरकार ने स्कूल से काफी सवाल किए. लेकिन इस बार सरकार के लिए ऐसा करना मुश्किल होगा, क्योंकि इस बार मोहन भागवत पलक्कड़ शहर के बाहरी इलाके में बने एक ऐसे स्कूल में तिरंगा फहराएंगे, जिसे संघ ही संचालित करता है, ऐसे में संघ ने भागवत के कार्यक्रम की इजाजत सरकार से ली भी नहीं है.

ऐसे में सवाल उठता है कि केरल ही क्यों? हालांकि संघ के स्थानीय प्रचारक ने बयान जारी किया है कि संघ प्रमुख का राष्ट्रीय पर्वों पर तिरंगा फहराने के लिए कभी कोई स्थान तय नहीं होता. उनका प्रवास देश के जिस शहर या गाँव में होता है, वो उसी जगह तिरंगा फहराते हैं. उनके मुताबिक ये संयोग की बात है कि 15 अगस्त के बाद 26 जनवरी को भी वो केरल में 3 दिन के प्रवास पर हैं.

ये अलग बात है कि संघ और बीजेपी के विरोधी लोग और लेफ्ट की सरकार इसे संयोग नहीं मानेगी, लेकिन ये भी देखा जा रहा है कि जब भी मोहन भागवत पश्चिम बंगाल या केरल जाते हैं, सरकार आयोजन को लेकर पहले या बाद में सवाल उठाती ही है. ममता सरकार ने एक बार रैली रद्द करवा दी थी जो बाद में हाइकोर्ट की इजाजत से हुई. दूसरी बार कार्यक्रम का हॉल अंतिम समय पर देने से मना कर दिया था तब जगह बदलनी पड़ी थी.

लेकिन ये भी मानना पड़ेगा की ये संघ ही है, जो बीजेपी के लिए अभी तक अविजित केरल और पश्चिम बंगाल में जमीन तैयार कर सकता है. इस तरह के सरकारी अड़ंगों से संघ को फायदा ही होता है. अब 26 जनवरी को देखना होगा कि केरल सरकार का इस मामले में क्या रुख होता है, क्योंकि मामला तिरंगे का है, सो वार उल्टा भी पड़ सकता है.

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