अयोध्या कांड के 25 साल पूरे होने से ठीक पहले VHP की धर्मसंसद कल से, भागवत-योगी लेंगे हिस्सा

6 दिसम्बर 2017 के दिन अयोध्या में विवादित ढांचे को तोड़ने को पच्चीस साल हो जाएंगे. इससे ठीक 12 दिन पहले यानि 24 नवंबर को वीएचपी धर्म संसद करने जा रही है. वीएचपी धर्म संसद में देश के सभी बड़े साधु संत और संघ, विश्व हिंदू परिषद के नेता जुटेंगे. खास बात यह है कि इस बार वीएचपी की धर्म संसद में संघ प्रमुख मोहन भागवत और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी भाग हिस्सा लेंगे.

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अयोध्या कांड के 25 साल पूरे होने से ठीक पहले VHP की धर्मसंसद कल से, भागवत-योगी लेंगे हिस्सा

Aanchal Pandey

  • November 23, 2017 2:31 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्ली: 6 दिसम्बर 2017 के दिन अयोध्या में विवादित ढांचे को तोड़ने की को पच्चीस साल हो जाएंगे, उससे ठीक 12 दिन पहले यानी 24 नवम्बर को देश के दूसरे कौने में, जो बैंगलौर से भी 422 किलोमीटर दूर है, में जुटेंगे देश के सभी बड़े साधु संत और संघ, विश्व हिंदू परिषद के नेता. कर्नाटक में उडुपी शहर को मंदिरों का नगर के नाम से जाना जाता है और खास बात है कि साउथ में सबसे मशहूर कृष्ण मंदिर यहीं है. ऐसे में इस बार वीएचपी की धर्म संसद इसलिए भी खास हो जाती है क्योंकि इसमें संघ प्रमुख मोहन भागवत ही नहीं यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी भाग लेगें. वो भी ऐसे वक्त में जब श्री श्री रवीशंकर भी समझौते का फॉरमूला बनाने में जुटे हैं.

यूं तो योगी पहले भी धर्मसंसद में भाग लेते रहे हैं, लेकिन केवल संत बतौर, हो सकता है पहली बार वो बीजेपी नेता या किसी राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर भाग लेंगे. हालांकि बाकी किसी स्टेट के मुख्यमंत्री या बीजेपी नेता को धर्मसंसद का न्यौता नहीं भेजा गया है, लेकिन योगी आदित्यनाथ को इसलिए भी बुलाया गया है कि इस संसद में राम मंदिर के मुद्दे पर भी चर्चा होनी है और अयोध्या यूपी में है इसलिए भी योगी को बुलाया गया है. योगी के लिए इस तीन दिन की धर्म संसद में एक खास सत्र रखा गया है, जो आखिरी दिन यानी 26 नवम्बर को है. शाम चार बजे एमजीएम कॉलेज के ग्राउंड पर आयोजित एक कार्य़क्रम समाजोत्सव में उन्हें मुख्य वक्ता के तौर पर बोलना है. हालांकि विश्व हिंदू परिषद की युवा विंग बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक मनोज वर्मा बताते हैं, ‘’योगीजी को यूपी के चीफ मिनिस्टर के तौर पर नहीं बुलाया गया है, बल्कि एक संत के तौर पर बुलाया गया है. राम जन्मभूमि आंदोलन से जितने संत जुड़े रहे हैं, उन सभी को इस धर्मसंसद में बुलाया गया है, करीब 3000 ऐसे संत इस धर्म संसद में भाग ले रहे हैं.‘’

इस तीन दिन की धर्म संसद में राम मंदिर निर्माण में आने वाली रुकावटें, गऊ रक्षा, सामाजिक समरसता औऱ धर्मान्तरण के मुद्दों पर चर्चा हो सकती है. धर्म संसद का उदघाटन दो बड़े संत करेंगे, एक हैं तुमाकुरू के सिद्धगंगा मठ के शिवकुमार महास्वामी और दूसरे हैं रामाभापुरी के वीरसोमेश्वर शिवाचार्य स्वामी होंगे. जिस तरह से योगी आदित्यनाथ समापन कार्यक्रम के आखिरी दिन आखिरी कार्य़क्रम के मुख्य वक्ता होंगे, उसी तरह मोहन भागवत उदघाटन सत्र के मुख्य वक्ता होंगे. 24 नवम्बर को ही शाम चार बजे एक एक्जीबीशन का उदघाटन संघ के सह सरकार्यवाह वी भगैय्या करेंगे, इस एक्जीबीशन का नाम रखा गया है ‘हिंदू वैभव’.

आपको बता दें कि इस धर्म संसद में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के सभी केन्द्रीय पदाधिकारी भाग लेंगे. धर्म संसद के अगले दिन सुबह दस बजे एक कार्य़क्रम सामाजिक सदभाव बढ़ाने पर भी है, जिसका टाइटल रखा गया है ‘एफर्ट्स नीडेड टू प्रमोट सोशल हारमनी’. 26 तारीख को आखिरी दिन संतो की एक शोभा यात्रा पूरे उडिपी शहर में भी निकलेगी. उसके बाद ‘समाजोत्सव’ कार्यक्रम होगा. 24 और 25 नवम्बर को रात में सांस्कृतिक कार्य़क्रम भी रखे गए हैं. मनोज वर्मा कहते हैं, ‘’राम मंदिर, सामाजिक समरसता और गऊ रक्षा इस धर्म संसद में यही तीन मुद्दे चर्चा का विषय रहेंगे.‘’ हालांकि उड़ुपी में पहले भी विश्व हिंदू परिषद की धर्म संसद हो चुकी है, ये साल 1969 मे हुई थी.

लेकिन इस बार की धर्मसंसद महत्वपूर्ण है क्योंकि केन्द्र और राज्य दोनों जगह बीजेपी की ही सरकारें हैं. एक तरफ 6 दिसम्बर को अयोध्या में विवादित ढांचा गिराने की घटना को 25 साल पूरे होने जा रहे हैं, दूसरी तरफ श्री श्री रविशंकर विवाद का फॉरमूला निकालने की कोशिश कर रहे हैं. अधिकतर शिया मुसलमान उनको समर्थन में आ भी गए हैं. सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी बहुत ज्यादा दूर नहीं, और जरूरी नहीं कि वो संतों के फेवर में ही आए, ऐसे में इस धर्म संसद में आगे की रणनीति बनना तय है. वैसे भी अब तक की ये 14 वीं धर्म संसद है, पिछले साल ही धर्म संसद के लिए संतों की बैठक उज्जैन के सिंहस्थ कुम्भ में हुई थी, आखिरी धर्म संसद 2011 में इलाहाबाद में हुई थी. संतों की पिछले साल ही बैठक के बाद इतनी जल्दी धर्म संसद आयोजित करना भी ये बताता है कि अयोध्या विवाद अपनी परिणति की ओर अग्रसर है.

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