नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंकीपॉक्स को दुनिया के लिए पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया है। दुनिया के कई देशों में मंकीपॉक्स से संक्रमित मरीज मिल रहे हैं, इसलिए सवाल यह उठ रहे हैं कि भारत इस वायरस को रोकने के लिए कितना तैयार है? विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से जारी […]
नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंकीपॉक्स को दुनिया के लिए पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया है। दुनिया के कई देशों में मंकीपॉक्स से संक्रमित मरीज मिल रहे हैं, इसलिए सवाल यह उठ रहे हैं कि भारत इस वायरस को रोकने के लिए कितना तैयार है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से जारी चेतावनी के बाद केंद्र और राज्य सरकारें हरकत में आ गई हैं, जिसके बाद लगातार उच्च स्तरीय बैठकें हो रही हैं। इसके अलावा वायरस के प्रसार को रोकने के लिए तेजी से नई गाइडलाइन बनाई जा रही हैं। जिन्हें धीरे-धीरे जारी किया जा रहा है।
इस बीच, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने मंकीपॉक्स की स्थिति और तैयारियों की समीक्षा की। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि बीमारी के प्रसार को रोकने और नियंत्रित करने के लिए एहतियाती कदम उठाए जाएंगे। हालांकि, भारत में अभी तक मंकीपॉक्स का कोई मामला सामने नहीं आया है।
इस बीमारी को ध्यान में रखते हुए WHO ने तीन साल में दूसरी बार आपातकाल घोषित किया है। इससे पहले 2022 में भी ऐसा देखने को मिला था। उस समय इस वायरस ने एक-दो नहीं बल्कि 100 से ज्यादा देशों में कहर बरपाया था।सेंट्रल अफ्रीका में इस समय फैल रहा मंकीपॉक्स का क्लेड वन वैरिएंट इससे पहले आए क्लेड 2 स्ट्रेन से ज्यादा गंभीर है। यही वजह है कि सेंट्रल अफ्रीका में मंकीपॉक्स के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और मौतें भी हुई हैं। इस बीमारी की मृत्यु दर 11 फीसदी है।
हालांकि मंकीपॉक्स कोविड-19 जैसा खतरनाक वायरस नहीं है। ऐसे उपकरण हैं जो संक्रमण को फैलने से रोकने और जोखिम में पड़े लोगों की मदद करने में कारगर साबित हुए हैं, और यह इतनी आसानी से नहीं फैलता। अब चुनौती यह है कि इसे दुनिया भर में फैलने से कैसे रोका जाए। डब्ल्यूएचओ ने भी लोगों को सतर्क रहने की हिदायत दी है ताकि स्थिति और न बिगड़े।
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