दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय के नाबालिग बच्चियों की खतना प्रथा का विरोध में सुप्रीम कोर्ट में याचिकाओं पर सुनवाई हुई. जिसमें केंद्र सरकार ने कहा कि सती और देवदासी कि तरह खतना प्रथा को खत्म किया जाना चाहिए.
नई दिल्ली: दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय की नाबालिग लड़कियों के खतना की प्रथा को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय की प्रथा को सती और देवदासी की तरह खत्म कर देना चाहिए. खतना से जो बच्चों को नुकसान पहुंचता है उसकी भरपाई नही हो सकती. केंद्र सरकार ने कहा कि सती और देवदासी प्रथा भी खत्म की जा चुकी है, दुनिया के 42 देश ख़तना को प्रतिबंधित कर चुके हैं.
इनकी आस्था ख़तने में हो सकती है लेकिन इन्हें संविधान के तहत ही प्रक्रिया को अपनाना होगा ये प्रथा संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है. वहीं दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय की तरफ से कहा कि वो कोशिश करेंगे कि इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए डॉक्टर की सहायता ले. हम चाहते है कि अदालत इस बात को रिकॉर्ड पर लें कि भविष्य में हम इसे प्रशिक्षित डॉक्टर से ही कराएंगे.
दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय ने अपना पक्ष रखते हुए इस प्रथा का बचाव करते हुए कहा कि इसे वैक्सिनेशन या मुंडन की तरफ प्रथा ही समझा जाये. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में 9 अगस्त को सुनवाई जारी रहेगी. बता दें खतना पंरपरा के तहत पुरुषों व महिलाओं के लिंग के ऊपरी हिस्से को ढकने वाली त्वचा को हटा दिया जाता है. इस प्रथा के पक्ष में लोग खतना के कई फायदे तो कुछ इसका विरोध भी करते हैं.
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