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जानबूझकर मनमोहन सिंह जी का अपमान कर रही है मोदी सरकार! कांग्रेस ने क्यों लगाए ऐसे आरोप

अंतिम संस्कार से पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को फोन किया है। खड़गे ने केंद्र सरकार से मांग की है कि मनमोहन सिंह जी का अंतिम संस्कार जहां पर किया जाए, वहां पर उनका स्मारक बनाया जाए।

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(PM Modi-Jairam Ramesh)
  • December 28, 2024 2:00 am Asia/KolkataIST, Updated 15 hours ago

नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार को लेकर कांग्रेस पार्टी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर भड़क गई है। दरअसल, कांग्रेस ने मांग की थी कि मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार जहां पर हो, वहां एक स्मारक बनाया जाए। लेकिन केंद्र सरकार ने निगमबोध घाट पर अंतिम संस्कार करने की बात कही है। जिस पर अब सियासत छिड़ गई है।

जयराम रमेश ने ये कहा

इस मामले पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा है, कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर प्रस्ताव दिया था कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार ऐसे स्थान पर किया जाए जहां उनकी विरासत का सम्मान करने के लिए एक स्मारक बनाया जा सके।

हमारे देश के लोग यह नहीं समझ पा रहे हैं कि भारत सरकार उनके वैश्विक कद, उत्कृष्ट उपलब्धियों के रिकॉर्ड और दशकों तक राष्ट्र की उल्लेखनीय सेवा के अनुरूप उनके अंतिम संस्कार और स्मारक के लिए कोई स्थान क्यों नहीं ढूंढ सकी। यह कुछ और नहीं, भारत के पहले सिख प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का जानबूझकर किया गया अपमान है।

खड़गे ने PM-गृह मंत्री को किया फोन

अंतिम संस्कार से पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को फोन किया है। खड़गे ने केंद्र सरकार से मांग की है कि मनमोहन सिंह जी का अंतिम संस्कार जहां पर किया जाए, वहां पर उनका स्मारक बनाया जाए। इसके साथ ही खड़गे ने कहा कि मनमोहन सिंह जी का स्मारक बनाना ही उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

विरोधी भी करते थे सम्मान

गौरतलब है कि डॉ. मनमोहन सिंह शांत और सरल स्वभाव के लिए जाने जाते थे, जिसके कारण उन्हें उनके राजनीतिक विरोधी भी उनका सम्मानित करते थे। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल में वह भारतीय योजना आयोग के प्रमुख के रूप में 1985 से 1987 तक कार्य किया। इसके साथ ही, वह 1982 से 1985 तक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर भी रहे, जहां उन्होंने बैंकिंग क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण सुधार किए, जिन्हें आज भी याद किया जाता थे।

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