नई दिल्ली: देशभर में बेलगाम होती महंगाई पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार लगातार हरकत में है। पिछले 10 दिनों में एक के बाद एक केंद्र सरकार ने कई बड़े फैसले लिए हैं। इनमें गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध और पेट्रोल की कीमत में कमी के लिए एक्साइज ड्यूटी में कटौती जैसे बड़े कदम शामिल हैं। इसी कड़ी में कल सरकार ने एक और अहम फैसला किया जिससे चीनी की मिठास बनी रह सके। केंद्र सरकार ने इस साल चीनी के निर्यात की मात्रा तय करने का फैसला किया है। आप 2021-22 चीनी सीजन में निर्यातक 100 लाख मैट्रिक टन से ज्यादा चीनी निर्यात नहीं कर पाएंगे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक देश में चीनी के स्टॉक को लेकर फिलहाल कोई चिंता नहीं है लेकिन एहतियात के तौर पर यह कदम सरकार द्वारा उठाया गया है क्योंकि इस साल चीनी का निर्यात पिछले 6 सालों में सबसे ज्यादा हुआ है। ऐसे में घरेलू बाजार में चीनी की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार ने यह फैसला लिया है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2017-18 में 6. 2 लाख मीट्रिक टन
2018-19 में 38 लाख मीट्रिक टन
2019 बीच में 60 लाख मैट्रिक टन, जबकि पिछले साल 2020-21 में 70 लाख टन चीनी निर्यात हुई है। इस साल चीनी के निर्यात में रिकॉर्ड उछाल आया है। आंकड़ों के मुताबिक 2021-22 में अब तक 90 लाख टन चीनी के निर्यात का अनुबंध हो चुका है जिसमें से करीब 79 लाख मेट्रिक टन चीनी का निर्यात किया जा चुका है।
बता दे पिछले 6 सालों में यह पहला मौका है जब केंद्र सरकार ने चीनी के निर्यात पर इस तरह की पाबंदी लगाई है। खाद्य मंत्रालय की ओर से निर्यातकों और चीनी मिलों के लिए एक एडवाइजरी जारी की है जिसमें कहा गया है कि 1 जून से चीनी निर्यात के लिए निर्यातकों को विशेष अनुमति लेनी पड़ेगी। केंद्र सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक फिलहाल देश में चीनी की औसत खुदरा कीमत ₹41 प्रति किलो चल रही है।
सरकार की तरफ से उठाया गया यह कदम उसी कड़ी में जोड़कर देखा जा सकता है जिसमें सरकार महंगाई पर काबू पाने के लिए लगातार कदम उठा रही है। पिछले दिनों गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध और पेट्रोल की कीमत में कमी के लिए एक्साइज ड्यूटी में कटौती सरकार ने की। इन कदमों का असर अब धीरे-धीरे
बाजार में देखने को मिल रहा है क्योंकि गेहूं और आटे की कीमत में कमी आने के संकेत मिल रहे हैं।
कल ही केंद्र सरकार ने अगले 2 सालों तक देश में कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल के आयात पर विशेष छूट देने का ऐलान किया है ताकि घरेलू बाजार में खाद्य तेल सस्ता हो सके। इन दोनों तेलों के बीच 20-20 लाख मैट्रिक टन के आयात पर सरकार ने आयात शुल्क नहीं लेने का फैसला किया है।
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