नई दिल्ली :विपक्ष के विरोध के बाद नौकरशाही में लेटरल एंट्री पर मोदी सरकार झुक गई है। कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्री ने पीएम मोदी के आदेश पर लेटरल एंट्री विज्ञापन रद्द करने के लिए यूपीएससी के अध्यक्ष को पत्र लिखा है.नौकरशाहों की भर्ती में ‘लेटरल एंट्री’ से अनुसूचित जाति यानि एससी अनुसूचित जनजाति यानि एसटी और अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण छिन जाने के राहुल गांधी के दावे के बाद से सियासी घमासान छिड़ा हुआ था . वहीं अब लेटरल भर्ती के फैसले पर फिलहाल रोक लगा दी गई है।
लेटरल एंट्री क्या है
लेटरल एंट्री को आसान भाषा में समझे तो प्राइवेट सेक्टर के लोगों की सीधी सरकारी पदों पर भर्ती से है.यूपीएससी की तरफ से जिन 45 पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया गया है.उन पदों पर ही प्राइवेट सेक्टर के लोगों की भर्ती की जाती है.इसका मतलब है सरकार अलग-अलग मंत्रालयों में ज्वाइंट सेक्रेटरी ,डायरेक्टर/डिप्टी सेक्रेटरी जैसे पदों पर प्राइवेट सेक्टर के लोगों को कॉन्ट्रैक्ट के जरिए काम करने का अवसर देती है.
लेटरल एंट्री स्कीम के तहत 15 सालों तक प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोगों को नौकरशाही में शामिल किया जाता है .इन पदों पर भर्ती के लिए न्यूनतम उम्र 45 वर्ष होनी चाहिए.इसके अलावा उम्मीदवार के पास ग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए.
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