नई दिल्ली: मिशन इंद्रधनुष योजना भारत सरकार की एक योजना है जिसके अंतर्गत सभी बच्चों का टीकाकरण किया जाता है. मिशन इंद्रधनुष योजना को का शुभारंभ 25 दिसंबर 2014 को केंद्रीय मंत्री जे.पी नड्डा ने किया था. इंद्रधनुष योजना का मकसद है कि 2020 तक ऐसे बच्चों का टीकाकरण करना है, जिन्हें सात खतरनाक बीमारियों के टीके नहीं लगे हैं या आशिंक रुप से लगे हैं. इंद्रधनुष में सात रंग होते हैं, इसलिए इस मिशन के तहत सात खतरनाक बीमारियां जैसे पोलियो, डिप्थीरिया, बलगम, टेटनस, खसरा, तपोदिक और हेपिटाइटिस-बी को शामिल किया गया है. मिशन इंद्रधनुष कार्यक्रम के तहत देश में 5 फीसद या उससे अधिक बच्चों के टीकाकरण में तेजी लाने के लिए काम करेगा.
मिशन इंद्रधनुष के शुरुआती चरण में देश के 201 जिलों की पहचान की गई है. ये 201 जिले ऐसे जिले हैं, जिनमें 50 फीसद बच्चों को या तो टीके लगे ही नहीं है या फिर आशिंक रूप से लगे हैं. इन जिलों में टीकाकरण की स्थिति को सुधारने के लिए लक्ष्य बनाया गया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक इन 201 के जिलों में 80 जिले तो सिर्फ चार राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान के शामिल हैं. इन चार राज्यों के 42 जिलों में 25 फीसद बच्चे ऐसे हैं जिन्हें टीके नहीं लगे हैं या फिर कुछ टीके ही लग सके हैं.
इन सात बीमारियों के लगाए जाएंगे टीके
इन सात बीमारियों के अलावा कई राज्यों में जापानी इन्सेफेलाइटिस और इन्फलूएंजा टाइप बी के लिए भी बच्चों को टीके लगाए जाएंगे.
मिशन इंद्रधनुष के पहले चरण में 201 जिलों में टीकाकरण की स्थिति में तेजी के साथ सुधार किया जाएगा. पहले चरण की शुरुआत विश्व स्वास्थ्य दिवस यानी कि 7 अप्रैल 2015 को की गई थी. इस चरण में देश के 28 राज्यों में से 201 जिलों की पहचान की गई. पहला चरण एक में 75 लाख बच्चों का टीकाकरण किया गया. इनमें से 20 लाख बच्चों का पूर्ण टीकाकरण किया गया और 20 लाख महिलाओं को टेटनस टॉक्साइड के टीके लगाए गए.
मिशन इंद्रधनुष के दूसरे चरण की शुरुआता 7 अक्टूबर 2015 को हुई. दूसरे चरण में देशभर के 352 जिलों को चयन किया गया, जिनमें से 279 जिले ऐसे हैं, जो मध्यम फोकस जिले हैं. इनमें से बाकि 73 जिले पहले चरण के हैं, जहां पर टीकाकरण की स्थिति बहुत ज्यादा खराब है. दूसरे चरण में 37 लाख बच्चों को टीके लगाए गए. इनमें से 10 लाख बच्चों को आशिंक रूप से टीके लगे हुए थे, वहीं 9 लाख गर्भवती महिलाओं को टेटनस टॉक्साइड के टीके लगाए गए. इसके अलावा पहले चरण के 73 जिलों में फिर से टीम गई और बची हुई आबादी को कवर किया गया.
मिशन इंद्रधनुष में सरकार को पहले और दूसरे चरण में काफी सफलता मिली. सरकार ने 7 अप्रैल 2016 को तीसरे चरण की शुरुआत की. इस चरण में 216 जिलों को कवर किया. इस चरण में उत्तर प्रदेश, बिहार, असम, प. बंगाल, असम, अरुणाचल प्रदेश, महाराष्ट्र को शामिल किया गया.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मिशन इंद्रधनुष के तहत अब तक भारत में 3 करोड़ से अधिक बच्चों का टीकाकरण अब तक किया जा चुका है. वहीं गर्भवती महिलाओं की बात करें तो करीब 81 लाख गर्भवती महिलाएं को मिशन इंद्रधनुष का लाभ ले चुकी हैं. सरकार का मकसद है कि साल 2020 तक ऐसे बच्चों को टीकाकरण हो सके, जिन्हें अभी तक टीके नहीं लग सके हैं या फिर आशिंक रूप से लगे हैं. मिशन इंद्रधनुष को ठीक ढंग से आयोजित करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और परिवार कल्याण मंत्रालय ने अंतर्राष्टीय संस्थाओं जैसे यूनीसेफ, डब्ल्यूएचएओ से सहयोग लिया है.
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