नई दिल्ली : देश में फरवरी महीने में खुदरा महंगाई घटकर 6.44 प्रतिशत पर आ गई है. जनवरी 2023 में खुदरा महंगाई दर पिछले 3 महीने के अपने उच्च स्तर 6.52 प्रतिशत पर थी. वहीं दिसंबर 2022 में 5.72 प्रतिशत थी. फरवरी 2022 में खुदरा महंगाई दर 6.07 प्रतिशत रही थी. खाने-पीने के सामान में […]
नई दिल्ली : देश में फरवरी महीने में खुदरा महंगाई घटकर 6.44 प्रतिशत पर आ गई है. जनवरी 2023 में खुदरा महंगाई दर पिछले 3 महीने के अपने उच्च स्तर 6.52 प्रतिशत पर थी. वहीं दिसंबर 2022 में 5.72 प्रतिशत थी. फरवरी 2022 में खुदरा महंगाई दर 6.07 प्रतिशत रही थी.
पिछले महीने यानी फरवरी में दाल-चावल और सब्जियों की कीमतों में थोड़ी कमी आई है. वहीं खाने-पीने के सामान में मामूली बढ़ोतरी हुई है. दाल-चावल में कमी आने से महंगाई दर में मामूली गिरावट दर्ज की गई है.
फरवरी महीने के आकंडे को देखते हुए अर्थशास्त्री कुणाल ने कहा कि अगले कुछ महीनों तक महंगाई ज्यादा बढ़ने की संभावना नहीं है. लेकिन खुदरा महंगाई धीरे-धीरे कम होगी.
आपको बता दें कि महंगाई का घटना और बढ़ना सामान की सप्लाई और डिमांड पर निर्भर करता है. अगर लोगों की आमदनी बढ़ेगी तो लोग ज्यादा सामान खरीदेंगे. लोग ज्यादा सामान खरीदेंगे तो उसी सामान की डिमांड बढ़ेगी और डिमांड के मुताबिक सप्लाई न होने पर महंगाई बढ़ेगी. आसान भाषा में कहे तो बाजार में पैसों का अत्यधिक बहाव या सामानों की कमी महंगाई का कारण बनती है. वहीं अगर मांग कम होगी और सप्लाई अधिक तो महंगाई कम होगी.
विश्वभर में इकोनॉमी महंगाई नापने के लिए WHOLESALE PRICE INDEX को अपना आधार मानती है. वहीं भारत WPI के साथ CPI को भी महंगाई चेक करने का स्केल मानता है.
आरबीआई मौद्रिक और क्रेडिट से जुड़ी नीतियां तय करने के लिए थोक मूल्यों के बजाए खुदरा महंगाई दर को मेन स्टैंडर्ड मानता है. आपको को बता दें अगर WPI बढ़ेगा तो CPI भी बढ़ेगा. ये एक-दूसरे पर असर डालते है. अर्थशास्त्रियों का कहना है कि आने वाले महीने में महंगाई की दर स्थिर रहने का संभावना है.