MHA Snooping Notification: अब किसी का भी कंप्यूटर चेक कर सकती हैं जांच एजेंसियां, भड़के विपक्ष ने नरेंद्र मोदी सरकार को सुनाई खरी-खरी

नई दिल्ली. गृह मंत्रालय की ओर से एक आदेश जारी किया गया है जिसके तहत अब इंटेलिजेंस ब्यूरो NIA के साथ 10 ऐसी केंद्रीय एजेंसियों होगी जो अपके कम्प्यूटर डाटा को चेक कर सकती हैं. इसके जरिये ये केन्द्रीय एजेंसियां किसी भी कम्प्यूटर में मौजूद डाटा सहित किसी भी सूचना की जानकारी की निगरानी कर सकती हैं. इन 10 केन्द्रीय एजेंसियों में इंटेलिजेंस ब्यूरो, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, सेंट्रल टैक्स बोर्ड, राजस्व खुफिया निदेशालय, केन्द्रीय जांच ब्यूरो, राष्ट्रीय जांच एजेंसी, कैबिनेट सचिवालय (RAW), डायरेक्टरेट ऑफ सिग्नल इंटेलिजेंस (जम्मू-कश्मीर, नार्थ-ईस्ट और असम के क्षेत्रों के लिए), और पुलिस आयुक्त दिल्ली भी इनमें शामिल हैं. बता दे गृह मंत्रालय के आदेशानुसार अगर इन एजेंसियों को जांच करने से रोका जायेगा तो ऐसे में 7 साल की कैद और जुर्माना लग सकता है.

वहीं दूसरी और गृह मंत्रालय के इस फैसले की राजनीति के कई बड़े नेता जमकर आलोचना कर रहे हैं उनका मानना है कि ऐसे जनता के निजी जानकारियों में दखल देना बिल्कुल गलत है. विपक्ष के कई नेताओं ने इस फैसले को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोल दिया है. ऐसे में इस मामले पर विपक्षी दल के नेता ट्वीट करके अपनी राय रख रहे हैं.

इस मामले पर ट्वीट करते हुए कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा है कि विधानसभा चुनाव हारने के बाद मोदी सरकार अब लोगों के कम्प्यूटर में तांक झांक करेगी, जनता कि जासूसी करना मोदी सरकार की योग्यता के स्तर को बताता है. और कहा कि अब की बार निजता पर वार.

अबकी बार,निजता पर वार!

Modi Govt mocks & flouts Fundamental ‘Right to Privacy’ with brazen impunity!

Having lost elections,now Modi Govt wants to scan/snoop YOUR computers?

‘Big Brother Syndrome’ is truly embedded in NDA’s DNA!

जनता की जासूसी=मोदी सरकार की निन्दनीय प्रवृत्ति! pic.twitter.com/qCe1IocgY8

— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) December 21, 2018

इसके अलावा बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी राय रखते हुए कहा है कि मुझे पता चला है गृह मंत्रालय की ओर से जारी आदेश के बारे में अगर यह केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए है तो इसके लिए केंद्र सरकार के पास पहले से ही मशीनरी है ऐसे में आम जनता को क्यों परेशान किया जायेगा.

2/2 If it is for National Security, then only for that purpose Central Government already has the machinery.

But, why all commoners will be affected?

Public Opinion please…

— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) December 21, 2018

इसके साथ ही कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने भी इस फैसले पर हस्तक्षेप करते हुए कहा है कि मुझे इस मामले की पूरी जानकारी नहीं है लेकिन यदि कोई लोगों के कम्प्यूटर पर नजर रखने जा रहा है तो यह एक ऑवरेलियन राज्य है यानी जैसे जार्ज ऑरवेल को स्वंतत्र समाज के लिए विनाशकारी के तौर पर पहचाना जाता है.

P Chidambaram on MHA order authorizing agencies for purposes of interception, monitoring of information: Not studied the matter, but if anybody is going to monitor computers then it is an Orwellian state(a condition that George Orwell identified as destructive for a free society) pic.twitter.com/40ZgOOuvwJ

— ANI (@ANI) December 21, 2018

 

वहीं दूसरी और सीपीएम के नेता सीताराम येचुरी ने भी इस मामले पर अपनी राय रखते हुए कहा कि केंद्र सरकार का यह फैसला असंवैधानिक है. ऐसे सभी भारतीयों को अपराधी की नजर से देखना गलत है.

Why is every Indian being treated like a criminal? This order by a govt wanting to snoop on every citizen is unconstitutional and in breach of the telephone tapping guidelines, the Privacy Judgement and the Aadhaar judgement. https://t.co/vJXs6aycP0

— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) December 21, 2018

 

गौरतलब है कि कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने भी गृह मंत्रालय की ओर से जारी आदेश का विरोध कते हुआ कहा है कि यह फैसला सूचना की निगरानी के तौर पर बिल्कुल भी सही नहीं है किसी के भी व्यक्ति के कम्प्यूटर में उसकी निजी जानकारी, बैलेंस और फोन कॉल आदि की तांक झांक करना गलत है. साथ ही इसका दुरूपयोग होने की संभावना भी है.

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