#MeToo Movement:ट्विटर, फेसबुक व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए #MeToo अभियान ने व्यापाक रूप लिया है. जहां बॉलीवुड, मीडिया से लेकर राजनीति और कॉरपोरेट जगत पर यौन शोषण के आरोप लगे हैं. समझने की जरूरत यह है कि यह सिर्फ पब्लिसिटी स्टंट या मौकापरस्त घटना नहीं बल्कि यह तो महिला की साहस की कहानी है जिसका अंत न्यायपूर्वक होना चाहिए. ये कैसे, नीचे पढ़ें.
नई दिल्ली. सोशल मीडिया पर हैशटैग मी टू अभियान के तहत महिलाएं यौन उत्पीड़न के खिलाफ लिख रही हैं. इस मुहिम में कई लोगों के नाम सामने आ रहे हैं. बॉलीवुड, मीडिया से लेकर राजनीति और कॉरपोरेट जगत पर यौन शोषण के आरोप लगे हैं. पहली बार होगा जब इतने व्यापक तौर पर महिलाएं सामने आकर शक्तिशाली लोगों की पोल खोलने की हिम्मत जुटा पाई हैं. मी टू कैंपेन को लेकर सोशल मीडिया पर अलग अलग राय है.
जहां एक तरफ यूजर्स का कहना है कि निर्भया कांड के बाद एक बार फिर मी टू के जरिए महिलाओं का जो एकीकरण देखा गया है. जब महिलाओं ने इतनी बड़ी संख्या में खुद के लिए खड़ी हुई हैं. वहीं दूसरी तरफ मी टू को लेकर कुछ लोगों का कहना है कि इसके जरिए मौकापरस्त महिलाएं ही जुड़ रही हैं. लेकिन इस अभियान ने जो विशाल रूप ले लिया है उसके भीतर कुछ सच्चाई तो होगी ही.
राजनेता, फिल्म अभिनेता, बिजनेसमैन, एडिटर से लेकर आज सब इस मी टू कैंपेन की गिरफ्त में हैं. सवाल यह उठता है कि इस व्यापक अभियान का परिणाम क्या निकलेगा या इन मामलों में कोई कानूनी कार्रवाई भी होगी. गौर करने वाली बात ये है कि जितने केस सालभर में यौन शोषण के कोर्ट में नहीं पहुंचते होंगे उससे कहीं ज्यादा मामला मी टू कैंपेन के दौरान देखने को मिले हैं. अक्सर मामलों में कोर्ट स्वत: संज्ञान लेता दिखता है लेकिन मी टू से जुड़े एक भी मामले में अदालत, पुलिस व महिला आयोग की ओर से कोई प्रतिक्रिया देखने को नहीं मिली.
सवाल तो यह भी उठता है कि महिलाएं क्या सोच कर इस मामले को उठा रही हैं? क्या उन्हें उम्मीद है कि आरोपियों को सजा मिलेगी? क्या उन्हें उम्मीद है कि कानून की मदद मिलेगी और सत्ता में बैठे लोग दोबारा किसी महिला का फायदा नहीं उठाएंगे लेकिन इस अभियान को चले काफी दिन बीत गए हैं अभी तक किसी भी तरह का संज्ञान इस मामले में मौजूदा सरकार व प्रशासन द्वारा लेता दिखाई नहीं दे रहा है.
इस स्तर पर चलाया जा रहा अभियान तब सफल होगा जब महिलाओं के साहस का परिणाम निकलेगा. इस अभियान के जरिए एक चीज अच्छी देखने को मिली कि महिलाएं अब चुप्पी साधने और खुद को दोषी मान कर नहीं बैठने वाली. इस अभियान के जरिए देश में ही नहीं विश्वभर में महिलाओं ने हिम्मत कर खुद के साथ हुए अत्याचार व यौन शोषण की कहानी बयां की.
महिला के लिए ये सब बयां करना इतना आसान नहीं होता है जितना इसे समझा जा रहा है. यदि महिलाएं ने अपने अनुभवों को साझा कर रही हैं तो संभव है कि उन्होंने अपने परिवार, दोस्तों और सभी को नजर अंदाज कर इसे एक बुरे सपने की तरह जाहिर किया होगा. ऐसे में इन सभी आरोपों को गंभीरता से लेना चाहिए. ये भी संभव है कि इन घटनाओं को साझा करने के बाद उन्हें परिवारवालों की खरी खोटी भी सुननी पड़ी हो कि क्यों सबके सामने इज्जत खराब कर रही है. यह सिर्फ सोशल मीडिया का एक अभियान नहीं बल्कि कई महिलाओं की साहस की कहानी है जिसका अंत न्यायपूर्वक होना चाहिए.