नई दिल्ली: मेघालय के तुरा जिले से नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) की लोकसभा सदस्य अगाथा के संगमा ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में झंडा फहराया. बता दें कि अगाथा ने पुणे विश्वविद्यालय से अपनी कानून की डिग्री पूरी की और यूनाइटेड किंगडम में नॉटिंघम विश्वविद्यालय से पर्यावरण प्रबंधन में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की है. 2008 के उपचुनाव में उन्होंने गंभीरता से राजनीति में प्रवेश किया, और अगाथा ने सभी मंचों पर पूर्वोत्तर और शेष भारत के बीच अंतर को पाटने की वकालत की.
संसद में अपने पहले भाषण में उन्होंने असम के गुवाहाटी में हुए आतंकी हमले पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि जब देश के दूसरे हिस्से में कोई घटना होती है तो पूरी संसद और सांसद एकजुटता दिखाते हैं, लेकिन दुर्भाग्य से जब उत्तर-पूर्व में कुछ होता है तो केवल उत्तर-पूर्व के सांसद ही आवाज उठाते हैं. विशेषज्ञता के क्षेत्र की परवाह किए बिना, सांसदों को देश के सर्वोत्तमहित में अपनी चिंताओं को व्यक्त करने और मुद्दों पर बहस करने की आवश्यकता होनी चाहिए. अपने पिता की देखरेख में पली-बढ़ी अगाथा के लिए राजनीति एक स्वाभाविक पसंद थी. दरअसल स्नातक स्तर की पढ़ाई के तुरंत बाद राजनीति में प्रवेश करने का अगाथा का निर्णय बहुत अप्रत्याशित था, वो पार्टी गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल हैं.
मेघालय में अगाथा ने पूर्वोत्तर की आवाज़ को संसद तक लाने के लिए अपनी मजबूत शैक्षणिक पृष्ठभूमि और क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों की गहरी समझ का उपयोग किया है. दरअसल उन्होंने संसद समेत सभी मंचों पर गारो हिल्स के बारे में बात की. मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने अपने दिवंगत पिता पीए संगमा के राष्ट्रीय राजनीति से सेवानिवृत्त होने के बाद संसद में मेघालय के राजदूत को याद करते हुए एक रिकॉर्ड बनाया, फिर 27 साल की उम्र में अगाथा भारत की सबसे कम उम्र की सांसद बन गईं है.
वो 15वीं संसद में भारत के सबसे कम उम्र के केंद्रीय मंत्री (ग्रामीण विकास मंत्री) बने. हालांकि उनका रिकॉर्ड कायम रहा, और अगाथा मेघालय से संसद में पहली महिला भी हैं. बता दें कि अगाथा के लिए विकास, शिक्षा और पर्यावरण के मुद्दें मुख्य हैं. वो सतत तरीके से विकास की वकालत करती रही हैं. उनका मानना है कि भारत को कई चुनौतियों का सामना करना होगा और हम सभी को अपने देश या आने वाले कल को आकार देने में योगदान देना होगा.वो कहती हैं कि आदिवासियों के विकास के लिए अलग सोच की जरूरत है. उनके विकास का मॉडल उनकी जरूरत और परंपरा के मुताबिक तैयार किया जाना चाहिए.
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