लखनऊ/नई दिल्ली: पूरा देश इस वक्त हरियाणा विधानसभा चुनाव के आश्चर्यजनक नतीजे से हैरान है. राज्य में सत्ता की प्रबल दावेदार मानी जाने वाली कांग्रेस सिर्फ 37 सीटों पर सिमट गई. वहीं 2014 से हरियाणा की सत्ता में काबिज बीजेपी को जनता ने फिर से 5 साल सरकार चलाने का मौका दिया है. इस चुनाव […]
लखनऊ/नई दिल्ली: पूरा देश इस वक्त हरियाणा विधानसभा चुनाव के आश्चर्यजनक नतीजे से हैरान है. राज्य में सत्ता की प्रबल दावेदार मानी जाने वाली कांग्रेस सिर्फ 37 सीटों पर सिमट गई. वहीं 2014 से हरियाणा की सत्ता में काबिज बीजेपी को जनता ने फिर से 5 साल सरकार चलाने का मौका दिया है.
इस चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के अलावा सत्ता के तीन और दावेदार थे. जिनमें जेजेपी-आजाद समाज पार्टी का गठबंधन, आम आदमी पार्टी और इनेलो-बसपा का गठबंधन. इन तीनों दावेदारों में सिर्फ इनेलो की हो 2 सीटें मिलीं. बाकी किसी भी दल को एक भी सीट नहीं मिली. हालांकि चुनाव में उत्तर प्रदेश की बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने कुछ सीटों पर जबरदस्त टक्कर दी है.
राज्य की अटेली विधानसभा सीट पर बसपा का हाथी खूब दौड़ा. यहां बीएसपी के उम्मीदवार अत्तरलाल जीत के बिल्कुल करीब पहुंच गए थे. लेकिन आखिरी में जाकर उन्हें केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के बेटी आरती राव सिंह से करीब 3 हजार वोटों से हार झेलनी पड़ी. बता दें कि इस सीट पर राव इंद्रजीत की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई थी.
सियासी गलियारों में चर्चा है कि हरियाणा चुनाव में कई सीटों पर टक्कर का मुकाबला करने के बाद अब बसपा में नई जान देखने को मिलेगी. मालूम हो कि बसपा प्रमुख मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी दे रखी है. युवा नेता आकाश लगातार पार्टी कैडर को मजबूत करने में जुटे हुए हैं. बताया जा रहा है कि बसपा जल्द ही अपने पुराने गढ़ यूपी में भी संगठन मजबूत करने वाली है. अगर बसपा यूपी में अपने खोए हुए जनाधार को वापस पाने की कोशिश करती है तो ये सपा और भाजपा के लिए खतरे की घंटी होगी.
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