लखनऊ: उत्तर प्रदेश की दो लोकसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर मायावती की बहुजन समाज पार्टी और अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने जीत हार का गणित लगाना शुरू कर दिया है. दोनों ही पार्टियों के लिए बीजेपी के गढ़ माने जाने वाले गोरखपुर और फूलपुर सीट पर सेंध मारी का अच्छा मौका है. यही वजह है कि दोनों पार्टियां इस अवसर को किसी भी हाल में भुनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती हैं. सुत्रों के मुताबिक लोकसभा की इन दोनों सीटों को जीतने के लिए बसपा और सपा के बीच समझौता भी हो सकता है.
आ यह भी जा रहा है कि मायावती सीधे तौर पर समर्थन की घोषणा न कर किसी स्थानीय कार्यकर्ता से सपा को समर्थन का ऐलान कर सकती हैं. अगर ऐसा होता है तो 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है. साथ ही साथ महागठबंधन को भी नया आधार मिल सकता है. गौरतलब है कि पिछले दिनों अखिलेश यादव ने कहा था कि उन्हें बसपा के साथ गठबंधन गुरेज नहीं है.
सीटों पर जातीय समीकरण की बात करें तो गोरखपुर में पिछड़ी जाति की आबादी करीब 85 फीसदी है, वहीं करीब 10 फीसदी मुस्लिम आबादी भी है. ऐसे में अगर बपसा और सपा का गठबंधन हो जाता है तो बीजेपी के लिए काफी मुश्किल खड़ी हो सकती है. आपको बता दें कि हाल ही में चुनाव आयोग ने लोकसभा की 3 सीटों पर उपचुनाव का ऐलान किया था. इसमें यूपी की गोरखपुर और फूलपुर सीट के अलावा बिहार की अररिया सीट पर उपचुनाव होना है.
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