सुत्रों के मुताबिक लोकसभा की इन दोनों सीटों को जीतने के लिए मायावती की बसपा (बहुजन समाज पार्टी) और सपा (समाजवादी पार्टी) के बीच समझौता भी हो सकता है. कहा यह भी जा रहा है कि मायावती सीधे तौर पर समर्थन की घोषणा न कर किसी स्थानीय कार्यकर्ता से सपा को समर्थन का ऐलान कर सकती हैं.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की दो लोकसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर मायावती की बहुजन समाज पार्टी और अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने जीत हार का गणित लगाना शुरू कर दिया है. दोनों ही पार्टियों के लिए बीजेपी के गढ़ माने जाने वाले गोरखपुर और फूलपुर सीट पर सेंध मारी का अच्छा मौका है. यही वजह है कि दोनों पार्टियां इस अवसर को किसी भी हाल में भुनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती हैं. सुत्रों के मुताबिक लोकसभा की इन दोनों सीटों को जीतने के लिए बसपा और सपा के बीच समझौता भी हो सकता है.
आ यह भी जा रहा है कि मायावती सीधे तौर पर समर्थन की घोषणा न कर किसी स्थानीय कार्यकर्ता से सपा को समर्थन का ऐलान कर सकती हैं. अगर ऐसा होता है तो 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है. साथ ही साथ महागठबंधन को भी नया आधार मिल सकता है. गौरतलब है कि पिछले दिनों अखिलेश यादव ने कहा था कि उन्हें बसपा के साथ गठबंधन गुरेज नहीं है.
#यूपी में बसपा लोकसभा उपचुनाव में सपा को करेगी समर्थन, स्थानीय स्तर पर BSP कोऑर्डिनेटर कल करेंगे घोषणा, गुरुवार को मायावती के निवास पर हुई मैराथन बैठक के बाद फैसला, BSP मुखिया मायावती ने दोनों लोकसभा उपचुनाव पर समर्थन को दी हरी झंडी, 2019 से पहले यूपी से बड़ा सियासी संदेश
— News18 Uttar Pradesh (@News18UP) March 3, 2018
सीटों पर जातीय समीकरण की बात करें तो गोरखपुर में पिछड़ी जाति की आबादी करीब 85 फीसदी है, वहीं करीब 10 फीसदी मुस्लिम आबादी भी है. ऐसे में अगर बपसा और सपा का गठबंधन हो जाता है तो बीजेपी के लिए काफी मुश्किल खड़ी हो सकती है. आपको बता दें कि हाल ही में चुनाव आयोग ने लोकसभा की 3 सीटों पर उपचुनाव का ऐलान किया था. इसमें यूपी की गोरखपुर और फूलपुर सीट के अलावा बिहार की अररिया सीट पर उपचुनाव होना है.
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