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मथुरा सिविल कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद मामले पर आज टाली सुनवाई, 31 मई को अगली सुनवाई

लखनऊ। देश में धार्मिक स्थलों को लेकर चल रहा बवाल थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. ज्ञानवापी मस्जिद विवाद के बाद यूपी में मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़ा मामला सामने आया था. इस मामले में आज मथुरा सिविल कोर्ट में सुनवाई होनी थी, लेकिन कोर्ट ने सुनवाई को टाल दिया है. अब इस विषय में अगली सुनवाई 31 मई को होनी है. ये मामला 2.37 एकड़ जमीन को मुक्त कराने से जुड़ा हुआ है. इस पर अभी शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है. इस याचिका में ईदगाह मस्जिद की जमीन को मुक्त करवाकर मंदिर में शामिल करने की मांग की गई है.

अदालत 31 मई को करेगी मामले पर सुनवाई

हिन्दू पक्ष की ओर से अधिवक्ता हरिशंकर जैन, रंजना विष्णु जैन और अग्निहोत्री समेत 6 लोगों ने याचिका दायर की थी. इन याचिकर्ताओं ने ईदगाह मस्जिद को हटाकर इस जमीन को श्रीकृष्ण मंदिर में शामिल कराने के लिए याचिका दायर की है. इस मामले पर पहले 19 मई को सुनवाई हुई थी. मथुरा कोर्ट ने इस मामले को सुनवाई के लिए योग्य माना था और कहा था कि इस मामले पर सिविल कोर्ट में सुनवाई होगी, जिसके लिए 26 मई की तारीख को मुकर्रर किया गया था, लेकिन सिविल कोर्ट ने आज की सुनवाई को टालकर अब इस मामले पर 31 मई को सुनवाई की तारीख तय की है.

याचिका में की गई है मांग

बता दें कि हिन्दू पक्ष की ओर से दायर की गई याचिका में कहा गया है कि श्रीकृष्ण विराजमान की कुल 13.37 एकड़ जमीन में से करीब 11 एकड़ जमीन पर श्रीकृष्ण जन्मस्थान स्थापित है, जबकि शाही ईदगाह मस्जिद 2.37 एकड़ जमीन पर बनी हुई है, यह जमीन मंदिर की है. इस याचिका में याचिकाकर्ता ने ईदगाह मस्जिद की जमीन को हटाकर श्रीकृष्ण जन्मस्थान में शामिल करने की मांग की गई है.

मुस्लिम पक्ष की दलील

वहीं दूसरी तरफ शाही ईदगाह मस्जिद कमिटी के सचिव और मुस्लिम पक्ष के वकील तनवीर अहमद ने कहा है कि इस मामले को लेकर वादियों के बीच एक होड़ मची हुई है, मुद्दा एक ही रहता है, बस पार्टी नाम बदलकर लगातार मुकदमे करी जा रहे हैं. तनवीर ने आगे कहा कि इस मामले पर बाहरी लोग मुकदमें दायर कर रहे हैं जबकि 1968 में हुए समझौते को लेकर श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की ओर से कोई आपत्ति नहीं की गई है. उन्होंने कहा कि मथुरा में इससे खूबसूरत तस्वीर नहीं हो सकती कि एक तरफ ईदगाह है और एक तरफ श्री कृष्ण मंदिर स्थित है. इस मंदिर में पूजा, अर्चना लगातार होती है और मस्जिद में नमाज भी पढ़ी जाती है. इससे किसी को कोई भी समस्या नहीं है.

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mohmmed suhail mewati

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