नई दिल्ली. महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का आज पटना के पीएमसीएच में निधन हो गया. उन्होंने अपनी अंतिम सांस पटना के पीएमसीएच में ली. गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे. उनके निधन पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गहरा शोक व्यक्त किया है. बुधवार को अचानक उनकी तबियत ज्यादा खराब हो गई जिसके बाद परिजन उन्हें पटना के पीएमसीएच ले गये जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया और परिजनों को उनकी डेडबॉडी का सर्टिफिकेट पकड़ा कर अपनी जिम्मेदारी से मुकर गये. उनकी पार्थिव शरीर को लेकर जाने के लिए हॉस्पिटल ने एंबुलेंस तक भी नहीं दिया. जिसके बाद परिजन उनका पार्थिव शरीर निजी वाहन से लेकर गये. हालांकि पटना पीएमसीएच प्रसाशन ने लग रहे इस तरह के आरोपो लेकर कोई बयान अभी तक नहीं दिया है.
वशिष्ठ नारायण सिंह का जन्म बिहार के आरा जिले के बसंतपुर गांव में हुआ था. उनके पिता एक किसान थे. वशिष्ठ नारायण सिंह ने गरीबी को बहुत करीब से देखा. लेकिन कुछ कर गुजरने की चेष्ठा के आगे गरीबी भी नतमस्तक हो गई. वशिष्ठ नारायण सिंह बचपन से ही होनहार छात्र थे. छठी क्लास में उन्होंने नेतरहाट में पहली बार स्कूल गये. उसके बाद पटना साइंस कॉलेज में बीएससी की पढ़ाई करने के लिए गये. पटना साइंस कॉलेज में पढ़ाई करने के दौरान उन पर कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जॉन कैली की नजर पड़ी जिसके बाद वो 1965 में पीएचडी करने अमेरिका चले गये.
वशिष्ठ नारायण सिंह के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने आइंस्टीने के सापेक्षता के सिद्धांत को भी चुनौती दिया था. उनके बारें में कहा यह भी जाता है कि नासा में अपोलो की लॉन्चिंग के समय अचानक से कम्प्यूटर 30 या 35 सेकेंड के लिए खराब हो गया. जिसके बाद उन्होंने गणितिय कैलकुलेशन किया. जब कम्प्यूटर ठीक हुआ तो उनका और कम्प्यूटर का कैलकुलेशन एक जैसा था.
अमेरिका से लौटने बाद वशिष्ठ नारायण सिंह ने आईआईटी दिल्ली, आईआईटी मुंबई सहित कई प्रतिष्ठित संस्थानों में नौकरी की. वशिष्ठ नारायण सिंह की शादी 1974 में हुई. शादी के कुछ वर्षों बाद ही एक मानसिक बीमारी सिजोफ्रेनिया से पीड़ित हो गए. काफी इलाज के बाद भी इसमे सुधार नहीं जिसके बाद उनकी पत्नी ने उन्हें छोड़ दिया. तब से वो अकेले ही जीवन यापन कर रहे थे. भारत सरकार की तरफ से भी उन्हें कोई सहायता नहीं मिल रही थी.
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