नई दिल्ली: 29 साल की विनेश फोगाट से पेरिस ओलंपिक में गोल्ड मेडल की उम्मीद जताई जा रही थीं, लेकिन अपने बढ़े वजन के चलते वह प्रतियोगिता से बाहर हो गईं. पहलवान विनेश फोगाट ने रातभर जागकर साइक्लिंग, जॉगिंग, और रस्सी कूदी पर कई कोशिशों के बाद भी उनका वजन नहीं घट पाया। उन्होंने बिना […]
नई दिल्ली: 29 साल की विनेश फोगाट से पेरिस ओलंपिक में गोल्ड मेडल की उम्मीद जताई जा रही थीं, लेकिन अपने बढ़े वजन के चलते वह प्रतियोगिता से बाहर हो गईं. पहलवान विनेश फोगाट ने रातभर जागकर साइक्लिंग, जॉगिंग, और रस्सी कूदी पर कई कोशिशों के बाद भी उनका वजन नहीं घट पाया। उन्होंने बिना कुछ खाए-पिए वजन कम करने की पूरी कोशिश की, लेकिन सुबह वजन मापने पर उनका वजन 50 किलो से 100 ग्राम ज्यादा था। इस वजह से उन्हें ओलंपिक से डिस्क्वालिफाई कर दिया गया, और नतीजा यह हुआ कि उनकी मेहनत और उम्मीदें दोनों नाकाम हो गईं।
इस घटना से मैरीकॉम के एक ऐतिहासिक पल से यादें ताज़ा हो गई है। 15 सितंबर 2018 को पोलैंड में साइलेशियन ओपन बॉक्सिंग टूर्नामेंट के दौरान, मैरीकॉम को 48 किलो कैटेगरी में बॉक्सिंग करनी थी, लेकिन मुकाबले से पहले उनका वजन 50 किलो तक पहुंच गया था। 4 घंटे में मैरीकॉम ने लगातार स्किपिंग और स्ट्रेचिंग के जरिए 2 किलो वजन कम किया। इस मेहनत के बाद उन्होंने कजाकिस्तान की एइजेरिम को हराकर गोल्ड मेडल जीता।
हालांकि विनेश को पेरिस ओलंपिक में वजन घटाने के लिए दूसरे दिन केवल 15 मिनट का समय मिला। इतने कम समय में वजन को नियमानुसार कम करना संभव नहीं हो सका। इससे उनका हौसला टूट गया और उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। विनेश के ओलंपिक से बाहर होने के बावजूद, उनकी कड़ी मेहनत और संघर्ष भारत के सभी नागरिकों के लिए प्रेरणा हैं.
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