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मार्गरेट अल्वा: गांधी परिवार की करीबी, इंदिरा और राजीव की सरकार में रही मंत्री, जानिए उपराष्ट्रपति चुनाव की राह कितनी मुश्किल

नई दिल्ली। एनडीए ने शनिवार शाम को उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की घोषणा की थी. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति का प्रत्याशी घोषित किया था. पीएम मोदी की मौजूदगी में हुई भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में धनखड़ के नाम पर मुहर लगी थी. इसी बीच रविवार को विपक्ष की बैठक में उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए मार्गरेट अल्वा के नाम पर मुहर लगी है. विपक्ष की ओर से माग्रेट अल्वा को उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बनाया है. NCP प्रमुख शरद पवार ने माग्रेट अल्वा के नाम का ऐलान किया है.

मार्गरेट अल्वा को ये कांग्रेस (Congress) की तरफ से उनके द्वारा की गई वर्षों की सेवा का इनाम माना जा रहा है. मार्गरेट अल्वा को गांधी परिवार (Gandhi Family) के करीबियों में गिना जाता है. कांग्रेस और गांधी परिवार के साथ मार्गरेट अल्वा का करीबी रिश्ता देश की पूर्व पीएम इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के समय से बना हुआ है.

राजीव गाँधी कार्यकाल में भी किया काम

मार्गरेट UPA सरकार में कैबिनेट मंत्री का पद भी संभाल चुकी हैं. साल 1984 की राजीव गाँधी की सरकार में श्रीमती आल्वा को संसदीय मामलों का केंद्रीय राज्य मंत्री पद सौंपा गया था. कार्यकाल समाप्त होने पर उन्हें बाद में मानव संसाधन विकास मंत्रालय में युवा मामले तथा खेल, महिला एवं बाल विकास के प्रभारी मंत्री का दायित्व सौंपा गया.

कांग्रेस ने भेजा राज्य सभा

मार्गरेट अल्वा 1975 और 1977 के बीच अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के संयुक्त सचिव और 1978 और 1980 के बीच कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव के रूप में कार्य किया. उन्हें संसद भी पहली बार कांग्रेस ने ही भेजा था जब वे 1974 में राज्य सभा के लिए चुनी गई थीं. इसके बाद वे तीन बार और, 1980, 1986 व 1992 में कांग्रेस की तरफ राज्य सभा भेजी गई थीं.

कांग्रेस के टिकट पर ही जीती थीं लोकसभा चुनाव

मार्गरेट अल्वा (Margaret Alva) ने 1999 में कांग्रेस (Congress) के टिकट पर ही कर्नाटक से लोकसभा चुनाव जीतकर पहुंची थी. उन्होंने 2004 में फिर से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन इस चुनाव में हार गई थीं. इसके बाद उन्होंने 2004 और 2009 के बीच अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव के रूप में अपनी सेवा दी. कांग्रेस के राज में उन्हें पहले उत्तराखंड (Uttarakhand) और फिर राजस्थान (Rajasthan) का भी राज्यपाल (Governor) बनाया गया था. इसके अलावा वे गोवा और गुजरात की भी राज्यपाल रही हैं.

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mohmmed suhail mewati

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