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21 तोपों की सलामी के साथ विदा होंगे मनमोहन सिंह, जानें क्या है पूर्व प्रधानमंत्री के अंतिम संस्कार का प्रोटोकॉल

भारत में पूर्व प्रधानमंत्री के अंतिम संस्कार के दौरान विशेष प्रोटोकॉल का पालन किया जाता है। इसका उद्देश्य देश के लिए उनके योगदान और पद की गरिमा का सम्मान करना है। आइए आपको बताते हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री के अंतिम संस्कार में क्या प्रोटोकॉल  होता है। 

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Manmohan Singh Funeral
  • December 27, 2024 1:02 pm Asia/KolkataIST, Updated 17 hours ago

नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का पार्थिव शरीर दिल्ली के मोतीलाल नेहरू मार्ग स्थित उनके आवास पर रखा गया है। उनका पार्थिव शरीर कल रात एम्स से यहां लाया गया था। अब आज उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा जहां लोग उन्हें श्रद्धांजलि देंगे। पूर्व पीएम का कल अंतिम संस्कार किया जा सकता है। पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। केंद्र सरकार ने पूर्व पीएम के निधन पर सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। इस दौरान सभी सरकारी संस्थानों में तिरंगा आधा झुका रहेगा।

भारत में पूर्व प्रधानमंत्री के अंतिम संस्कार के दौरान विशेष प्रोटोकॉल का पालन किया जाता है। इसका उद्देश्य देश के लिए उनके योगदान और पद की गरिमा का सम्मान करना है। आइए आपको बताते हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री के अंतिम संस्कार में क्या प्रोटोकॉल  होता है।

ऐसे होता है अंतिम संस्कार

अंतिम संस्कार से पहले पूर्व प्रधानमंत्री के पार्थिव शरीर को भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे में लपेटा जाता है। इसके अलावा अंतिम संस्कार के दौरान उन्हें 21 तोपों की सलामी भी दी जाती है। यह सलामी राजकीय सम्मान के सर्वोच्च स्तर का प्रतीक मानी जाती है। पूर्व प्रधानमंत्री की अंतिम यात्रा के दौरान सुरक्षा और प्रोटोकॉल का बहुत सख्ती से पालन किया जाता है। आम जनता से लेकर राजनेता तक उनकी अंतिम यात्रा में शामिल होते हैं। इसके अलावा सैन्य बैंड और सशस्त्र बलों के जवान भी अंतिम यात्रा में शामिल होते हैं और पारंपरिक मार्च करते हैं।

कहां हो सकता है अंतिम संस्कार?

देश के पूर्व प्रधानमंत्रियों का अंतिम संस्कार दिल्ली में विशेष स्मारक स्थलों पर किया जाता है, जैसे जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजघाट परिसर। वहीं कई पूर्व प्रधानमंत्रियों के लिए अलग से समाधि स्थल भी बनाया जाता है। हालांकि अंतिम संस्कार की विधि मृतक व्यक्ति और उसके परिवार की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होती है। आमतौर पर पूर्व प्रधानमंत्रियों का अंतिम संस्कार दिल्ली में होता है, लेकिन कई मामलों में यह प्रक्रिया संबंधित व्यक्ति के गृह राज्य में भी हो सकती है।

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