भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार (26 दिसंबर) को 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। मनमोहन सिंह की चुप्पी को लेकर अक्सर सवाल उठते थे। विपक्ष आरोप लगाता था कि मनमोहन सिंह का रिमोट कंट्रोल सोनिया के हाथ में है और वह उनके इशारों पर काम करते हैं। मनमोहन सिर्फ नाम के पीएम हैं, सरकार सोनिया चलाती हैं।
नई दिल्ली: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार (26 दिसंबर) को 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह उम्र संबंधित बीमारियों से जूझ रहे थे। वे 2004 से 2014 तक लगातार दो बार भारत के प्रधानमंत्री रहे। 33 साल तक राज्यसभा सदस्य रहे और इस साल की शुरुआत में राज्यसभा से विदाई ली। उन्हें भारतीय अर्थव्यवस्था में क्रांति लाने के लिए हमेशा याद किया जाएगा। उनकी चुप्पी को लेकर अक्सर सवाल उठते थे। विपक्ष आरोप लगाता था कि मनमोहन सिंह का रिमोट कंट्रोल सोनिया के हाथ में है और वह उनके इशारों पर काम करते हैं। मनमोहन सिर्फ नाम के पीएम हैं, सरकार सोनिया चलाती हैं।
2012 में जब मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री थे, तब उन्होंने संसद के बाहर ‘हजारों जवाब से अच्छी मेरी खामोशी है, न जाने कितने सवालों की आबरू रखी’ शेर सुनाकर सुर्खियां बटोरी थीं। 2017 के समय एक अंग्रेजी अखबार ने दावा किया था कि केंद्र सरकार 700 से ज्यादा फाइलें सार्वजनिक करने पर विचार कर रही है, जो साबित करेंगी कि मनमोहन सिंह कठपुतली पीएम हैं।
अंग्रेजी अखबार के मुताबिक ये फाइलें सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) की हैं। दावा किया गया कि इन फाइलों में सबूत हैं कि यूपीए के 10 साल के शासन के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी किस तरह पर्दे के पीछे से पूरी सरकार को नियंत्रित कर रही थीं। यूपीए के शासन के दौरान एनएसी कोयला, ऊर्जा, विनिवेश, रियल एस्टेट, प्रशासन, सामाजिक और औद्योगिक क्षेत्र जैसे सरकारी नीतिगत मामलों में हस्तक्षेप करती थी। इसका सीधा मतलब है कि एनएसी के जरिए सोनिया गांधी बिना किसी जवाबदेही के सत्ता को नियंत्रित कर रही थीं.
इन फाइलों का हवाला देते हुए अखबार ने दावा किया है कि एनएसी केंद्र सरकार के किसी भी अधिकारी को मोती लाल नेहरू प्लेस स्थित अपने दफ्तर में पेश होने के लिए कहती थी। वह मंत्रियों को पत्र लिखकर रिपोर्ट मांगती थी। फाइलों का हवाला देते हुए अखबार ने दावा किया है कि मनमोहन सिंह के पास इस समिति के आदेशों का पालन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। 21 फरवरी 2014 को सरकार को लिखे पत्र में कहा गया है कि पूर्वोत्तर में खेलों को बढ़ावा देने से संबंधित सिफारिश एनएसी चेयरमैन ने सरकार को भेज दी है। इसके अलावा अखबार ने कुछ फाइलों का भी जिक्र किया है, जिनसे पता चलता है कि किस तरह सोनिया का सरकार के कामकाज में पूरा हस्तक्षेप था।
2022 में गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस पार्टी छोड़ी तो उन्होंने सोनिया गांधी को पांच पन्नों पत्र लिखा। इसमें उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह सरकार के नेतृत्व में यूपीए सरकार रिमोट कंट्रोल से चलती थी और वही रिमोट अब पार्टी में भी आ गया है।
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