नई दिल्ली: मनमोहन सिंह की निधन के कुछ ही घंटों बाद गुरुवार (26 दिसंबर 2024) को शिवसेना (यूबीटी) नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने पूर्व प्रधानमंत्री की मौत को राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का मुद्दा बना दिया और राजनीतिक रोटी सेंकने की कोशिश की। प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट कर आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मनमोहन सिंह की छवि खराब करने की कोशिश की. उन्होंने दावा किया कि भाजपा नेताओं द्वारा व्यक्त किये गये शोक के शब्द दिखावे के लिए है.
प्रियंका चतुवेर्दी ने कहा, ”प्रधानमंत्री के नेतृत्व में मंत्रिमंडल ने भले ही डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया लेकिन उनके खिलाफ किए गए कृत्यों और लगाये गये आरोपों को कभी नहीं भुलाया जा सकता है. उनकी छवि खराब करने के आरोप, शर्मनाक आरोप।” एक महान व्यक्ति का प्रतिरूपण करना, उसका चरित्र हनन करना और उसे परेशान करना कहां तक जायज है. उन्होंने आगे कहा, ”कल वे जो भी कहेंगे वह सिर्फ पाखंड होगा. इतिहास उनके आचरण का उचित मूल्यांकन करेगा.
बेशक प्रियंका चतुर्वेदी ने मनमोहन सिंह की आलोचना के लिए मनमोहन सिंह को घेरा लेकिन शिवसेना (यूबीटी) ने अपनी ही पार्टी द्वारा उन पर की गई टिप्पणियों को नजरअंदाज कर दिया. खासतौर पर तब जब वह खुद कांग्रेस की प्रवक्ता थीं और बाद में शिवसेना में शामिल हो गईं। 2012 में उद्धव ठाकरे ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को ‘मोम की मूर्ति’ कहकर उनका मजाक उड़ाया था.
महंगाई के मुद्दे पर उन्होंने कहा था, ‘पिछले 7-8 साल से हम देख रहे हैं कि उनमें (मनमोहन सिंह) और मोम के पुतले में ज्यादा अंतर नहीं है।’इसके एक साल बाद ही 2013 में उद्धव ठाकरे ने मनमोहन सिंह के लिए अपमानजनक शब्द का इस्तेमाल किया. डीएनए की 2013 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ठाकरे ने पुणे के लोगों के साथ हुई बातचीत का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने उनसे पूछा था कि मौजूदा सरकार के बारे में उनकी क्या राय है. इसके जवाब में लोगों ने कथित तौर पर कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एक अक्षम नेता हैं।
वहीं, साल 2017 में शिव सेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा था, ”मुझे नहीं लगता कि देश ने इतना कमजोर प्रधानमंत्री कभी देखा है.” उन्होंने यह भी बयान दिया था कि मनमोहन सिंह को उनकी अपनी पार्टी (कांग्रेस) से भी सम्मान नहीं मिला. आपको बता दें कि दिवंगत शिवसेना नेता और संस्थापक बाल ठाकरे ने एक बार मनमोहन सिंह को ‘राजनीतिक रूप से नपुंसक’ तक कह दिया था।
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