Manmohan Singh On GDP : देश की गिरती GDP और बिगड़ती अर्थव्यवस्था पर पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने जताई चिंता, कहा- भारत लंबी मंदी की तरफ

Manmohan Singh On GDP: देश की बिगड़ती अर्थव्यवस्था को देखते हुए पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने चिंता जताई है. पिछले दिनों जीडीपी में भारी गिरावट हुई है, जिसमें जीडीपी 5.8 से गिर कर 5 प्रतिशत हो गई है, जिसको लेकर मनमोहन सिंह ने केंद्र की मोदी सरकार पर अर्थव्यवस्था को लेकर गहरी चिंता जताई है. उन्होंने अर्थव्यस्था पर कहा कि

Advertisement
Manmohan Singh On GDP : देश की गिरती GDP और बिगड़ती अर्थव्यवस्था पर पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने जताई चिंता, कहा- भारत लंबी मंदी की तरफ

Aanchal Pandey

  • September 1, 2019 12:12 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली.  देश की बिगड़ती अर्थव्यवस्था को देखते हुए पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने चिंता जताई है. पिछले दिनों जीडीपी में भारी गिरावट हुई है, जिसमें जीडीपी 5.8 से गिर कर 5 प्रतिशत हो गई है, जिसको लेकर मनमोहन सिंह ने केंद्र की मोदी सरकार पर अर्थव्यवस्था को लेकर गहरी चिंता जताई है. उन्होंने अर्थव्यस्था पर कहा कि आज अर्थव्यवस्था की स्थिति बहुत चिंताजनक है. पिछली तिमाही जीडीपी (GDP) केवल 5 प्रतिशत की दर से बढ़ी , जो इस ओर इशारा करती है कि हम एक लंबी मंदी के दौर में हैं. भारत में ज्यादा तेजी से वृद्धि करने की क्षमता है, लेकिन मोदी सरकार के चौतरफा कुप्रबंधन के चलते अर्थव्यवस्था में मंदी छा गई है.

चिंताजनक बात यह है कि विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर केवल 0.6 प्रतिशत है. इससे साफ हो जाता है कि हमारी अर्थव्यवस्था अभी तक नोटबंदी के ग़लत फ़ैसले और जल्दबाज़ी में लागू किए गए जीएसटी की नुक़सान से उबर नहीं पाई है.घरेलू मांग में काफी गिरावट है और वस्तुओं के उपयोग की दर 18 महीने में सबसे निचले स्तर पर है. नॉमिनल जीडीपी वृद्धि दर 15 साल के सबसे निचले स्तर पर है. टैक्स राजस्व में बहुत कमी आई है. टैक्स ब्युओएंसी, यानि जीडीपी की तुलना में टैक्स की वृद्धि काल्पनिक रहनेवाली है क्योंकि छोटे व बड़े सभी व्यवसायियों के साथ ज़बरदस्ती हो रही है है और टैक्स आतंकवाद बेरोकटोक चल रह है. निवेशकों में उदासी का माहौल हैं. ये अर्थव्यवस्था में सुधार के आधार नहीं हैं.

मोदी सरकार की नीतियों के चलते भारी संख्या में नौकरियां खत्म हो गई हैं. अकेले ऑटोमोबाईल सेक्टर में 3.5 लाख लोगों को नौकरियों से निकाल दिया गया है. असंगठित क्षेत्र में भी इसी प्रकार बड़े स्तर पर नौकरियां कम होंगी, जिससे हमारी अर्थव्यवस्था में सबसे कमजोर कामगारों को रोज़ी-रोटी से हाथ धोना पड़ेगा.

ग्रामीण भारत की स्थिति बहुत गंभीर है. किसानों को उनकी फसल के उचित मूल्य नहीं मिल रहे और गांवों की आय गिर गई है. कम महंगाई दर, जिसका मोदी सरकार प्रदर्शन करना पसंद करती है, वह हमारे किसानों की आय कम करके हासिल की गई है, जिससे देश में 50 प्रतिशत से ज्यादा जनसंख्या पर चोट मारी गयी है. संस्थानों पर हमले हो रहे हैं और उनकी स्वायत्ता खत्म की जा रही है. सरकार को 1.76 लाख करोड़ रु. देने के बाद आरबीआई की आर्थिक कुप्रबंधन को वहन कर सकने की क्षमता का टेस्ट होगा, और वहीं सरकार इतनी बड़ी राशि का इस्तेमाल करने की फ़िलहाल कोई योजना न होने की बात करती है.

इसके अलावा इस सरकार के कार्यकाल में भारत के आंकड़ों की विश्वसनीयता पर भी प्रश्नचिन्ह लगा है. बजट घोषणाओं एवं रोलबैक्स ने अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों के विश्वास को झटका दिया है. भारत, भौगोलिक-राजनीतिक गठजोड़ों के कारण वैश्विक व्यापार में उत्पन्न हुए अवसरों का लाभ उठाते हुए अपना निर्यात भी नहीं बढ़ा पाया। मोदी सरकार के कार्यकाल में आर्थिक प्रबंधन का ऐसा बुरा हाल हो चुका है.

हमारे युवा, किसान और खेत मजदूर, उद्यमी एवं सुविधाहीन व गरीब वर्गों को इससे बेहतर स्थिति के हक़दार हैं. भारत इस स्थिति में ज्यादा समय नहीं रह सकता. इसलिए मैं सरकार से आग्रह करता हूँ कि वो बदले की राजनीति छोड़े और सभी बुद्धिजीवियों एवं विचारकों का सहयोग लेकर हमारी अर्थव्यवस्था को इस मानव-निर्मित संकट से बाहर निकाले.

Subramanian Swamy on GDP Sharp Decline 5 Percent: जीडीपी के आंकड़ो पर बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी बोले, 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था भूल जाओ, सरकार के पास ना साहस है ना ज्ञान

India Towards Recession Narendra Modi Government: क्या नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में मंदी की तरफ जा रही है भारतीय अर्थव्यवस्था, जीडीपी के गिरते दर का संकेत समझें

Tags

Advertisement