नई दिल्ली। भारत के दो बार प्रधानमंत्री रह चुके व प्रख्यात अर्थशास्त्री डॉक्टर मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर, 2024 को निधन हो गया। भारत के 13वें प्रधानमंत्री ने 92 साल की उम्र में दिल्ली में आखिरी सांस ली। डॉक्टर सिंह ने भारत की अर्थव्यवस्था को उदार बनाया था। मनमोहन सिंह शांत छवि के प्रधानमंत्री थे […]
नई दिल्ली। भारत के दो बार प्रधानमंत्री रह चुके व प्रख्यात अर्थशास्त्री डॉक्टर मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर, 2024 को निधन हो गया। भारत के 13वें प्रधानमंत्री ने 92 साल की उम्र में दिल्ली में आखिरी सांस ली। डॉक्टर सिंह ने भारत की अर्थव्यवस्था को उदार बनाया था। मनमोहन सिंह शांत छवि के प्रधानमंत्री थे हालांकि एक ऐसा भी समय आया जब वो इतना गुस्सा हो गए थे कि सोनिया गांधी की बात सुनने से भी इंकार कर दिया था।
12 मार्च 2006 की बात है। उस समय अमेरिका के तत्कालीन। राष्ट्रपति जॉर्ज बुश भारत दौरे पर आए थे, राष्ट्रपति भवन में उनकी खतरीदारी चल रही थी। अमेरिका भारत को एक समझौते के तहत यूरेनियम सप्लाई करने की सहमति पर हस्ताक्षर करने वाला था। इस समझौते को भारत अमेरिका परमाणु करार कहा जाता है लेकिन यह सब इतना आसान नहीं था क्योंकि सरकार को समर्थन दे रही सीपीआईएम और सीपीएम इसका विरोध कर रही थी।
अमेरिका के साथ परमाणु करार में पीएम मनमोहन सिंह की व्यक्तिगत रुचि थी लेकिन लेफ्ट के भारी विरोध से सरकार पर पीछे हटने का जबरदस्त दबाव बना था। मनमोहन सिंह ने इसे अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया और पीछे हटने से साफ मना कर दिया। दो सालों तक लेफ्ट और कांग्रेस के बीच खींचातानी चली। सीपीई नेता एबी वर्धन सरकार को धमकी देते रहे, इससे लग रहा था कि कभी भी सरकार गिर सकती है।
उस समय में एबी वर्धन ने मीडिया को यह तक कह दिया कि शाम 5 बजे तक सरकार गिर सकती है। मामला गरमाता हुआ देखकर सोनिया गांधी बीच में आईं। उन्होंने पीएम से पीछे हटने को कहा तो मनमोहन सिंह गुस्सा हो गए और इस्तीफे की पेशकश कर दी। कांग्रेस मनमोहन सिंह के सामने झुक गई। बाद में यह डील फाइनल हो गया लेकिन वामदलों ने सरकार से अपना समर्थन ले लिया था।