नई दिल्ली : इस समय दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी को लेकर खूब बवाल हो रहा है. रविवार को आठ घंटे तक पूछताछ के बाद उन्हें CBI ने गिरफ्तार कर लिया था. इस गिरफ्तारी के खिलाफ आम आदमी पार्टी के नेता विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. बता दें, छह महीने की जांच और […]
नई दिल्ली : इस समय दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी को लेकर खूब बवाल हो रहा है. रविवार को आठ घंटे तक पूछताछ के बाद उन्हें CBI ने गिरफ्तार कर लिया था. इस गिरफ्तारी के खिलाफ आम आदमी पार्टी के नेता विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. बता दें, छह महीने की जांच और कई ठिकानों पर छापेमारी के बाद CBI ने यह कार्रवाई की है. इससे पहले भी अक्टूबर महीने में सिसोदिया से पूछताछ की गई थी. लेकिन एक सवाल ये भी है कि आखिर कैसे सिसोदिया CBI की रडार पर आ गए?
दरअसल 17 अगस्त 2022 को सीबीआई ने नई आबकारी नीति (2021-22) में धोखाधड़ी, रिश्वतखोरी के आरोपों के तहत डिप्टी सीएम सिसोदिया और अन्य 15 लोगों पर मामला दर्ज़ किया था. पिछले साल 19 अगस्त को एजेंसी ने सिसोदिया और आप के तीन अन्य सदस्यों के आवास पर छापेमारी की.इसके अलावा दिल्ली एनसीआर के कई ठिकानों पर भी छापेमारी की गई. ख़बरों की मानें तो इस छापेमारी के दौरान सीबीआई ने कई डिजिटल डिवाइस भी जब्त किए थे. डिजिटल डिवाइस की जांच के दौरान कई खुलासे हुए. इस दौरान एजेंसी ने एक्साइज पॉलिसी ड्राफ्ट दस्तावेजों में से एक को अलग सिस्टम में ट्रेस किया। बताया जा रहा है कि यह डिपार्टमेंट नेटवर्क का हिस्सा नहीं था.
इसके बाद मामले में CBI ने एक अधिकारी से पूछताछ की. इस पूछताछ के दौरान ही एजेंसी को सिसोदिया के दफ्तर के कंप्यूटर का सुराग मिला. जिसके बाद CBI ने 14 जनवरी को सिसोदिया के दफ्तर के कंप्यूटर को सीज किया. इसमें से अधिकांश फाइलें पहले ही डिलीट की जा चुकी थीं. फॉरेंसिक टीम की मदद से पुलिस ने इन फाइलों को रिट्राइव किया.
इसके बाद फॉरेंसिक जांच में खुलासा हुआ कि ये फाइल एक्सटर्नली ऑरजिनेट की गई थीं. ये सभी फाइलें व्हाट्सएप के माध्यम से प्राप्त हुई थीं. इसके बाद एजेंसी ने 1996 के DANICS अधिकारी को समन भेजा जो सिसोदिया का सेक्रेटरी था
अधिकारी ने पूछताछ में खुलासा किया कि मार्च 2021 में सिसोदिया ने उन्हें अरविंद केजरीवाल के आवास पर बुलाया था. यहां सत्येंद्र जैन भी थे जिस दौरान उन्हें GoM (Group of Ministers) रिपोर्ट की प्रति दी गई.स रिपोर्ट की ड्राफ्ट कॉपी से ’12 परसेंट प्रॉफिट मार्जिन क्लॉस’ जोड़ा गया था लेकिन इससे किसी रिकॉर्ड या चर्चा को शामिल नहीं किया गया था. फरवरी के पहले हफ्ते में CBI ने मजिस्ट्रेट के सामने CRPF की धारा 164 के तहत अधिकारी के बयान दर्ज कराए और उसे गवाह बनाया. सिसोदिया के कार्यालय से जब्त कंप्यूटर और उनके सचिव के बयान के आधार पर ही CBI सिसोदिया तक पहुँच पाई.
इसके बाद जब CBI ने सिसोदिया से सवाल पूछे तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिए. इस पूछताछ में उनके सामने कुछ दस्तावेज और डिजिटल एविडेंसभी रखे गए थे. इतना ही नहीं सीबीआई ने मनीष सिसोदिया को सबूतों को नष्ट करने का भी आरोपी पाया है. इसमें उनकी मिलीभगत सामने आई है.
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