नई दिल्लीः एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने आदेश दिया कि मणिपुर राज्य को उन सभी जिला मुख्यालयों में ट्रायल के आधार पर मोबाइल टावर्स खोलने और संचालित करने का निर्देश दिया जाता है जो हिंसा से प्रभावित नहीं हुए हैं। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति गोलमेई गैफुलशिलु काबुई की खंडपीठ ने मणिपुर सरकार द्वारा पूर्वोत्तर राज्य में मोबाइल इंटरनेट सेवा प्रतिबंध को आठ नवंबर तक बढ़ाए जाने के बाद यह फैसला सुनाया है।
एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा, मणिपुर राज्य को उन सभी जिला मुख्यालयों में ट्रायल के आधार पर मोबाइल टावर्स खोलने और संचालित करने का आदेश दिया जाता है जो हिंसा प्रभावित क्षेत्र नहीं थे। छह नवंबर के आदेश में मणिपुर सरकार से यह भी कहा गया है कि अगर कानून व्यवस्था की स्थिति अनुकूल हो तो इसके बाद अन्य क्षेत्रों में भी सेवाओं को जारी कर देना चाहिए। अदालत ने राज्य को यह भी निर्देश दिया कि वह मोबाइल इंटरनेट डाटा सेवाओं के निलंबन या अंकुश के संबंध में जारी सभी आदेशों की प्रतियां अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड करें। मामले की अनुपालन के लिए अगली सुनवाई नौ नवंबर को होगा।
सितंबर में कुछ दिनों को छोड़कर मणिपुर में तीन मई से मोबाइल इंटरनेट पर रोक लगा हुआ है, जब जातीय संघर्ष शुरू हुआ था। यह ताजा कदम ऐसे समय उठाया गया है जब पिछले हफ्ते भीड़ ने मणिपुर राइफल्स के एक शिविर पर हमला कर उसका शस्त्र लूट लिया था जिसके बाद सुरक्षाकर्मियों को हवा में गोलियां चलानी पड़ी थीं। याचिकाकर्ताओं में से एक के अधीवक्ता योइहेंबा ध्रुव अरिबाम ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि राज्य सरकार हाईकोर्ट द्वारा पारित निर्देशों को लागू करेगी।
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