इंफाल: पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में दो समुदाय के बीच जारी हिंसा के बीच वायरल हो रहे महिलाओं के आपत्तिजनक वीडियो ने बवाल मचा दिया है. 4 मई की इस घटना को लेकर सोशल मीडिया यूज़र्स में नाराज़गी दिखाई दे रही है. अब खबर सामने आ रही है कि सरकार ने महिलाओं के इस वीडियो को […]
इंफाल: पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में दो समुदाय के बीच जारी हिंसा के बीच वायरल हो रहे महिलाओं के आपत्तिजनक वीडियो ने बवाल मचा दिया है. 4 मई की इस घटना को लेकर सोशल मीडिया यूज़र्स में नाराज़गी दिखाई दे रही है. अब खबर सामने आ रही है कि सरकार ने महिलाओं के इस वीडियो को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर शेयर न करने के आदेश दिए हैं.
जानकारी के अनुसार मणिपुर सरकार ने ट्विटर को निर्देश दिए हैं कि मणिपुर की नग्न महिलाओं से जुड़े वीडियो को शेयर ना किया जाए. बता दें, इस मामले को लेकर ITLF के एक प्रवक्ता ने दावा किया था कि अपराधियों ने वीडियो को बनाने के बाद वायरल कर दिया है. ऐसे में वीडियो वायरल होने के बाद पीड़ित महिलाओं द्वारा झेली गई यातना का दर्द कई गुना बढ़ गया है.
इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम का दावा है कि वीडियो में दिखाई देने वाली महिलाएं कुकी-ज़ो जनजाति की थीं जिनके साथ छेड़छाड़ करने वाली भीड़ मैतेई समुदाय से थी. इस घटना के एक महीने बाद 21 जून को FIR दर्ज़ करवाई गई है. FIR में IPC की धारा के तहत धारा 153ए, 398, 427, 436, 448, 302, 354, 364, 326, 376, 34 और शस्त्र अधिनियम की धारा 25(1सी) के तहत शिकायत दर्ज़ की गई है.
बताया जा रहा है कि इस भीड़ ने एक आदमी की भी हत्या की थी जिसके बाद हिंसक और अमानवीय भीड़ ने 3 महिलाओं को निर्वस्त्र कर दिया था. तीनों महिलाओं में से एक की उम्र 19 वर्ष बताई जा रही है जिसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया. जब पीड़िता के भाई ने उसकी मदद करने की कोशिश की तो उसकी हत्या कर दी गई. बाद में तीनों महिलाएं अनजान लोगों की मदद लेकर भागने में सफल रहीं.
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने इस वीडियो को लेकर कहा है कि सरकार ने उस वीडियो का स्वतः संज्ञान ले लिया है. वीडियो को लेकर जांच के आदेश दिए गए हैं. बी.फेनोम गांव के 65 साल के प्रमुख थांगबोई वैफेई ने सैकुल पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज़ करवाई है. शिकायत में बताया गया है कि भीड़ ने तीसरी महिला के साथ भी सामूहिक बलात्कार किया था. वीडियो वायरल होने के बाद केंद्र से लेकर राज्य सरकार सवालों के घेरे में आ गई है. ये भी सवाल उठ रहे हैं कि आखिर मणिपुर हिंसा को रोकने में सरकार क्यों नाकाम साबित हो रही है?