नई दिल्ली। महाकुंभ जब से शुरू हुआ है तब से ही उसपर जमकर सियासत हो रही है। भगदड़ हादसे के बाद से विपक्ष योगी सरकार पर लगातार हमलावर रहा है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी महाकुंभ को ‘मृत्यु कुंभ’ कहा, जिसके बाद बवाल और बढ़ गया है। ममता बनर्जी के इस बयान पर संत आग बबूला हो गए हैं। संतों ने उनके बयान को सनातन धर्म और महाकुंभ की पवित्रता का अपमान बताते हुए उनसे अपने शब्दें के लिए माफी मांगने को कहा है। संतों ने कहा कि प्रयागराज महाकुंभ अमृत पर्व है, जिसकी दिव्यता और भव्यता पूरे विश्व ने देखी है।
पंच दशानन अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अरुण गिरी ने ममता बनर्जी के बयान पर कहा, “पश्चिम बंगाल हिंदू सनातनियों के लिए मृत्यु प्रदेश बनता जा रहा है। हज़ारों सनातनियों का नरसंहार हो रहा है और चुनाव के दौरान लाखों हिंदुओं को पलायन करना पड़ रहा है। ममता बनर्जी को अपने राज्य की चिंता करनी चाहिए, उत्तर प्रदेश की नहीं। योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ को वैश्विक पहचान दिलाई और भव्य आयोजन के साथ एक नया इतिहास रचा।”
निर्मोही अखाड़ा के अध्यक्ष महंत राजेंद्र दास ने कहा कि ममता बनर्जी महाकुंभ आकलन नहीं कर सकती क्योंकि उन्होंने हमेशा सनातन और उसके प्रतीकों का अपमान किया है। ऐसे बयान देकर वे भी अरविंद केजरीवाल की राह पर चल रही हैं और उनका भी हश्र वही होगा। महामंडलेश्वर ईश्वर दास महाराज ने कहा, “ममता बनर्जी का बयान सनातन धर्म के खिलाफ उनकी मानसिकता को दर्शाता है। ममता बनर्जी ने हमेशा सनातन का विरोध किया है। वह बंगाल को दूसरा बांग्लादेश बनाना चाहती हैं।” अयोध्या हनुमान गढ़ी मंदिर के महंत राजू दास ने ममता बनर्जी के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी को अपने शब्दों के लिए माफी मांगनी चाहिए।
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