नई दिल्ली: मलेशिया के सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक फैसले में केलंतन राज्य द्वारा पारित 16 इस्लामिक कानूनों (शरिया) को असंवैधानिक करार दिया, और अदालत ने कहा है कि इन कानूनों ने देश के अन्य कई हिस्सों में भी इसी तरह के शरिया कानूनों को प्रभावित किया होगा। नौ सदस्यीय जूरी ने कहा कि व्यभिचार, जुआ, यौन उत्पीड़न और पूजा स्थलों को अपवित्र करना जैसे अपराध नागरिक कानून के तहत आते हैं.
साथ ही केलंटन राज्य ने इसे शरिया कानून के रूप में स्वीकार कर लिया है, इसलिए अदालत ने 8-1 के मत से निर्णय को अमान्य कर दिया है, और मुख्य न्यायाधीश तेंगकु मैमुन तुआन मैट ने कहा कि देश के पूर्वोत्तर राज्य (केलंतन) के पास कानून बनाने की शक्ति नहीं है, क्योंकि इन मुद्दों पर कानून बनाने का अधिकार सिर्फ संसद को है. उन्होंने कहा है कि इन प्रावधानों की सामग्री संघ सूची के अंतर्गत आती है.
दरअसल मलयेशिया में दोहरी कानूनी प्रणाली है, और इसमें इस्लामी कानून (शरिया) और नागरिक कानून है. साथ ही इस्लामी कानून राज्य विधानसभाओं द्वारा जबकि नागरिक कानून संसद द्वारा अधिनियमित किए जाते हैं. बता दें कि केलंतन राज्य में 2021 में पारित विशिष्ट शरिया कानूनों के विरोध में एक वकील और उनकी बेटी ने सांविधानिक चुनौती दे दी थी, और मलयेशिया के पूर्वोंतर राज्य केलंतन में पार्टी इस्लाम से मलेशिया संगठन की सरकार है, जो बहुत सख्त इस्लामी कानून को लागू करने की वकालत करती रही है.
कोर्ट ने कहा है कि इस मामले का देश में इस्लाम की स्थिति से कोई लेना देना बिलकुल भी नहीं है. बता दें कि उन्होंने कहा कि केलंतन की विधायिका ने अपनी शक्तियों से परे जा कर इस काम को किया है, और देखा जाए तो सिविल कोर्ट की ओर से इस्लाम और शरिया अदालतों को समर्थन ना देने का मुद्दा ही नहीं उठता है. केलंतन सरकार के अधिकारी मोहम्मद फाजली हसन ने फैसले पर निराशा जाहिर करते हुए कहा है कि राज्य अपने निर्णय और इस्लामी कानून पर अपने शाही शासक सुल्तान मुहम्मद वी से परामर्श करेगा, और मलयेशिया के 13 राज्यों में से नौ का नेतृत्व राजा करते हैं, जो इस्लाम के सुरक्षा के रूप में कार्य करते हैं.
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