नई दिल्ली. आपने गांधीजी की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर अक्सर देखी होगी, जिसमें वृद्ध गांधीजी एक विदेशी महिला के साथ डांस करते दिख रहे हैं। वो तस्वीर तो फेक मानी जाती है, लेकिन आपको ये जानकर वाकई में हैरत होगी कि गांधीजी ने लंदन में बाकायदा एक डांस क्लास में एडमीशन ले लिया था और डांस सीखा भी। जाहिर हैं आपके लिए ये दिलचस्प जानकारी है, लेकिन ये सच है। दरअसल आप सब जवान उम्र के उस दौर में जिस दवाब से गुजरे हैं, गांधीजी भी गुजरे थे। आखिर ये कोई आसान बात तो थी कि नहीं वो उस दौर में लंदन पढ़ने गए थे, तो जाहिर है उनको साथ पढ़ने वाले मित्रों का अलग अलग कामों के लिए दवाब तो होगा ही।
गांधीजी आम युवा से एक मामले में थोड़ा अलग थे, एक तो वो घर से मां और उनके सलाहकार जैन साधु के सामने प्रतिज्ञा लेकर आए थे कि मांस, मदिरा का सेवन नहीं करेंगे, दूसरी तरफ उनको खुद भी तमाम तरह के प्रयोग करने की आदत थी। शादी के बाद जहां ब्रह्मचर्य के प्रयोगों में उन्होंने काफी दिमाग लगाया, वहीं शादी से पहले उनको खाने पीने को लेकर कई तरह के प्रयोग करने की आदत लग गई थी, इसी से बाद में उनके प्राकृतिक चिकित्सा सम्बंधी प्रयोगों की आदत भी लग गई थी। ऐसी आदतें आम युवा में नहीं होतीं। लेकिन बाकी मामलों में युवा गांधी बाकी युवा मित्रों से अलग ना थे।
उनके मित्र बार बार उनको आहार सम्बन्धी किताबें पढ़ते देख या शाकाहारी भोजन खाते देख उन्हें समझाया करते थे कि अगर तुम मांस नहीं खाओगे तो कमजोर रह जाओगे। अंग्रेजी समाज में घुलमिल नहीं पाओगे। व्यर्थ के प्रयोगों से पोथी पंडित बन जाओगे। लेकिन उनके मित्र लगातार उन्हें लंदन के आम जीवन में घसीटने की कोशिश करते रहे। एक बार एक दोस्त उन्हें एक नाटक दिखाने ले गया, वहां किसी रेस्तरां में जैसे ही उनकी मेज पर सूप लेकर बैरा आया तो गांधीजी को शक हुआ कि इसमें मांस हो सकता है, जो उसमें था भी, वो छोड़कर चले आए। ऐसी घटनाओं से गांधीजी को अपने अंदर भी बदलाव के सुर सुनाई देने लगे थे।
तब गांधीजी को लगा कि वो कुछ बदलाव तो कर ही नहीं सकते, मसलन मांस, मदिरा को तो हाथ नहीं लगा सकते तो क्यों ना बाकी मामलों में सभ्य बनने की कोशिश करूं, लंदन का जेंटलमेन बनूं। गांधीजी अपनी आत्मकथा में लिखते हैं, ‘’मैंने निश्चय किया कि मैं जंगली नहीं रहूंगा। सभ्य के लक्षण ग्रहण करूंगा, और दूसरे समाज से समरस होने योग्य बनकर अन्नाहार की अपनी विचित्रता को छुपा लूंगा।। मैंने ‘सभ्यता’ सीखने के लिए अपनी सामर्थ्य से परे का छिछला रास्ता पकड़ा’’।
गांधीजी ने सबसे पहला बदलाव अपने पहनने के कपड़ों में किया, उनको लगा कि मुंबई में सिले कपड़े यहां के लिए ठीक नहीं होंगे तो उन्होंने लंदन के आर्मी और नेवी स्टोर से कपड़े सिलवाए। पूरे 19 शिलिंग की चिमनी टोपी अपने सर पर पहनने के लिए खरीदी, जो उस वक्त बहुत मंहगी मानी जाती थी। फिर वो बॉन्ड स्ट्रीट पहुंचे, यहां केवल रईस लोग अपने कपड़े सिलवाते थे, वहां 10 पोंड में शाम की ड्रेस सिलवाई। इतने पर ही नहीं माने गांधीजी, भाई को पत्र लिखकर दोनों जेबों में लटकाने के लिए सोने की चैन मंगवाई, भाई ने भेज भी दी। उन दिनों बंधी बंधाई टाई पहनना शिष्टाचार नहीं माना जाता था, सो उन्होंने खुद टाई बांधना भी सीख लिया।
अब बारी थी डांस क्लास में एडमिशन और वायलिन सीखने की। जानिए इन दोनों क्लासेज में एडमिशन और उनसे मोहभंग की पूरी कहानी विष्णु शर्मा के साथ इस वीडियो में–
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