नई दिल्ली. 13 नवंबर यानी कल झारखंड में पहले चरण का चुनाव है. दूसरे चरण में महाराष्ट्र और झारखंड की बची सीटों व उप चुनाव वाले क्षेत्रों में वोट डाले जाएंगे. जब भी चुनाव आता है राजनीतिक दल नारा गढ़ने में जुट जाते हैं, जिसका नारा वोट खींचता है वह हिट हो जाता है और […]
नई दिल्ली. 13 नवंबर यानी कल झारखंड में पहले चरण का चुनाव है. दूसरे चरण में महाराष्ट्र और झारखंड की बची सीटों व उप चुनाव वाले क्षेत्रों में वोट डाले जाएंगे. जब भी चुनाव आता है राजनीतिक दल नारा गढ़ने में जुट जाते हैं, जिसका नारा वोट खींचता है वह हिट हो जाता है और उस पर बहस शुरू हो जाती है. दो राज्यों के चुनाव में फिलहाल यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने लीड ले लिया है और कांग्रेस उनके नारों के असर से बौखला गई है.
योगी ने तीन महीने पहले आगरा के एक कार्यक्रम में बंटेंगे तो कटेंगे का नारा दिया था, भाजपा को यह नारा इतना अच्छा लगा कि पीएम मोदी से लेकर अमित शाह तक सबने शब्दों के हेरफेर के साथ इसे अपना लिया. इसका पहला ट्रायल हरियाणा विधानसभा चुनाव में हुआ जहां योगी ने इस नारे को बार बार दोहराया और पार्टी उम्मीद से परे सूबे में हैट्रिक लगाने में कामयाब हो गई. किसी भी सूबे में हार जीत का कोई एक कारण नहीं होता है लेकिन माना जा रहा है कि योगी के नारे का असर हुआ. उसके बाद पार्टी और आरएसएस को लगा कि हिंदू मतदाताओं को एकजुट रखने के लिए यह रामबाण साबित हो सकता है लिहाजा सभी इस नारे को लगाने लगे.
अभी तक कांग्रेस इसका काट नहीं ढूंढ पाई है. पार्टी के नेता राहुल गांधी जातिगत जनगणना कराने की बात पिछले साल हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से ही कर रहे हैं. जिसे भाजपा विभाजनकारी कदम साबित करने में जुटी हुई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कह चुके हैं कि हम जोड़ने में लगे हैं और कांग्रेस नेता समाज को बांटना चाहते हैं. जैसे जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आती गई कांग्रेस आक्रामक होती गई और कमान अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने संभाल ली.
उन्होंने महाराष्ट्र की रैली में कहा कि सीएम योगी को गेरुआ वस्त्र त्यागकर खाकी कपड़े पहनने की सलाह दे डाली. यहां तक तो फिर भी मर्यादित भाषा थी, सोमवार को वह एक कदम और आगे बढ़े और योगी की भाषा को आतंकी की भाषा बताकर नया बवाल खड़ा कर दिया. महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने भाजपा को कुत्ता बनाने की बात कह दी. धीरे धीरे बात बढ़ती गई और कुत्ता, चोर, लुटेरा, औरंगजेब और आतंकवादी तक पहुंच गई.
भाजपा भला कहां पीछे रहने वाली थी लिहाजा अपने तीखे बयानों के लिए चर्चित हिमंता विस्वा सरमा ने झारखंड में इसे बांग्लादेशी घुसपैठियों के संदर्भ में प्रयोग करना शुरू कर दिया और जैसे ही योगी की महाराष्ट्र में सभा हुई देवेंद्र फडणवीस भी आक्रामक होकर इस नारे को लगाने लगे. महायुति में अजित पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी ने इस नारे को लेकर एतराज जताया लेकिन उस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया.
फडणवीस ने एआईएमआईएम नेता असद्दुदीन ओवैसी पर वार करने के लिए भी इसी नारे को चुना. दरअसल राजनीतिक दल यह बात अच्छी तरह जानते हैं कि विकास और काम पर वोटिंग नहीं होती. लोगों की भावनाओं से जुड़े नारे बहुत मायने रखते हैं और भाजपा उसी राह पर चल पड़ी है.
आखिर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे सीएम योगी के इस नारे से क्यों इतना बौखला गये हैं. क्या राहुल गांधी का जाति जनगणना वाला नारा काम नहीं कर रहा है. बाताया जा रहा है कि आरएसएस और भाजपा ने सोची समझी रणनीति के तहत इस नारे को अपनाया है और उसी हिसाब से पूरा नैरेटिव बनाया. ये उसा बहुत बड़ा गेम प्लान है. महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव में भाजपा बुरी तरह मात खा चुकी है.
अब उसे लग रहा है कि इस नारे का असर होगा और इसके जरिए हिंदू मतों का ध्रुवीकरण किया जा सकेगा. 23 नवंबर को चुनाव परिणाम आने के बाद पता चलेगा कि योगी के नारे ने कितना काम किया लेकिन जिस तरह से विपक्ष खासतौर से कांग्रेस नेता बौखलाहट में जवाब दे रहे हैं उससे जाहिर होता है कि कांग्रेस भगवा पार्टी के चक्रव्यूह में फंस गई है.
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