महाराष्ट्र: उद्धव ठाकरे ने वापस लिए बागी मंत्रियों के विभाग, कहा-कामकाज नहीं प्रभावित होना चाहिए

महाराष्ट्र: मुंबई। महाविकास अघाड़ी गठबंधन के सबसे बड़े दल शिवसेना में हुई बगावत के बाद से ही राज्य की सियासत में घमासान मचा हुआ है। शिवसेना शीर्ष नेतृत्व यानि उद्धव ठाकरे से बगावत कर 40 से अधिक विधायक असम के गुवाहाटी में डेरा जमाए हुए है। बागी विधायकों के गुट का नेतृत्व ठाणे जिले के […]

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महाराष्ट्र: उद्धव ठाकरे ने वापस लिए बागी मंत्रियों के विभाग, कहा-कामकाज नहीं प्रभावित होना चाहिए

Vaibhav Mishra

  • June 27, 2022 1:59 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

महाराष्ट्र:

मुंबई। महाविकास अघाड़ी गठबंधन के सबसे बड़े दल शिवसेना में हुई बगावत के बाद से ही राज्य की सियासत में घमासान मचा हुआ है। शिवसेना शीर्ष नेतृत्व यानि उद्धव ठाकरे से बगावत कर 40 से अधिक विधायक असम के गुवाहाटी में डेरा जमाए हुए है। बागी विधायकों के गुट का नेतृत्व ठाणे जिले के बड़े शिवसेना नेता और उद्धव सरकार में मंत्री एकनाथ शिंदे कर रहे है। दोनों गुटों के बीच इस वक्त शिवसेना पर कब्जे की लड़ाई चल रही है। इसी बीच मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बागी मंत्रियों पर सख्त फैसला लेते हुए उनसे विभाग वापस ले लिए है।

सीएम उद्धव ने बागी मंत्रियों से छीना विभाग

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बागी मंत्रियों पर सख्त फैसला लेते हुए उनसे सभी विभाग छीन लिए है। इनमें सरकार में नंबर दो की भूमिका में रहे एकनाथ शिंदे और ठाकरे परिवार के करीबी माने जाने वाल गुलाबराव पाटिल और उदय सामंत का नाम शामिल है। शिंदे के विभाग को अनिल देसाई को दिया गया है और गुलाबराव के विभाग को अनिल परब को दिया गया है।

कामकाज नहीं रूकना चाहिए- उद्धव ठाकरे

सभी बागी मंत्रियों से विभाग वापस लेते हुए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि किसी के बागी बनने से और दूर जाने से सरकार का काम नहीं रूकना चाहिए। सभी विभाग सुचारू रूप से काम करते रहे इसके लिए बागी मंत्रियों के विभाग वापस लेकर दूसरे मंत्रियों को दे दिया गया है।

मनसे में जा सकते है बागी विधायक

असम के गुवाहाटी में डेरा जमाए शिवसेना के बागी विधायक महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना मंव शामिल हो सकते हैं। मनसे उद्धव के चचेरे भाई राज ठाकरे की पार्टी है। बागी विधायकों के राज की पार्टी में शामिल होने के पीछे का कारण ये है कि शिंदे गुट के पास दो तिहाई यानी 37 से अधिक विधायकों का समर्थन जरूर है लेकिन उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा में अलग पार्टी की मान्यता मिलना आसान नहीं है। इसी बीच बागी विधायकों का गुट अगर राष्ट्रपति चुनाव से पहले इस संकट का हल चाहता है तो उसे खुद का विलय किसी दल में करना होगा। ऐसे में बागियों की सबसे बड़ी संभावना महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना में शामिल होने की है।

बीजेपी की ताल पर नाच रहे नचनिया बागी-सामना

सामना में लिखा गया है कि महाराष्ट्र के सियासी लोकनाट्य में केंद्र सरकार की डफली, तंबूरे वाले कूद पड़े हैं और राज्य के ‘नचनिये’ विधायक उनकी डफली पर नाच रहे हैं। ये सभी ‘नचनिये’ गुवाहाटी के एक पांच सितारा होटल में अपने राज्य द्रोह का प्रदर्शन पूरी दुनिया में कर रहे हैं। मुखपत्र में लिखा गया है कि केंद्र और महाराष्ट्र की बीजेपी ने ही इन नचनियों (बागी विधायकों) को उकसाया है। उनकी नौटंकी का मंच बीजेपी ने ही बनाया और सजाया है। ये अब किसी से भी छिपा नहीं रह गया है।

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