नई दिल्लीः महाराष्ट्र विधायकों की आयोग्यता मामले पर स्पीकर का फैसला आने के बाद उद्धव ठाकरे लगातार शिंदे गुट और स्पीकर पर हमलावर है। एक बार फिर शिवसेना (उद्धव गुट) ने राज्य सरकार पर निशाना साधा है। पार्टी ने आरोप लगाया कि एक चोरों के गिरोह को मान्यता देकर संविधान को कुचल दिया गया है। […]
नई दिल्लीः महाराष्ट्र विधायकों की आयोग्यता मामले पर स्पीकर का फैसला आने के बाद उद्धव ठाकरे लगातार शिंदे गुट और स्पीकर पर हमलावर है। एक बार फिर शिवसेना (उद्धव गुट) ने राज्य सरकार पर निशाना साधा है। पार्टी ने आरोप लगाया कि एक चोरों के गिरोह को मान्यता देकर संविधान को कुचल दिया गया है। शिवसेना ( उद्धव गुट) ने सामना में एक लेख के जरिए सत्तारुढ़ भाजपा को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि राज्य के लोग इसके पीछे के खेल करने वाले को माफ नहीं करेंगे।
सांसद संजय राउत ने दावा किया कि नार्वेकर को न्याय करने की जिम्मेदारी सैंपी गई थी लेकिन उन्होंने शिंदे के वकील के तौर पर काम किया। शिंदे के लिए एक बड़ी राजनीतिक जीत में स्पीकर नार्वेकर ने माना कि जून 2022 में प्रतिद्वंद्वी समूहों के उभरने पर उनके नेतृत्व वाला शिवसेना गुट असली राजनीतिक दल था और उन्होंने दोनों खेमों के किसी भी विधायक को अयोग्य नहीं ठहराया था।
18 महीने बाद स्पीकर का फैसला आने के बाद एकनाथ शिंदे का कद बढ़ गया है। अब राज्य में उनकी ताकत बढ़ गई है क्योंकि राज्य में उनके नेतृत्व वाली सरकार बरकरार है। जिसमें भाजपा और रांकपा ( अजित गुट) भी शामिल है। सामना में कहा गया है कि स्पीकर का आदेश पहले से तय था। इसमे चौंकाने वाली बात नहीं है। सामना में कहा गया कि स्पीकर के लंबे आदेश को दिल्ली में उनके आकाओं ने लिखा था।
सामना में आरोप लगाया है कि बाल ठाकरे की शिवसेना को गद्दारों को सौंपने का स्पीकर नार्वेकर का फैसला महाराष्ट्र के साथ बेइमानी में शामिल होने के समान है। सामना के लेख भी यह भी कहा गया है कि नार्वेकर के पास इतिहास रचने का मौका था लेकिन उन्होंने ऐसा फैसला दिया जिसने लोकतंत्र का चेहरा काला कर दिया है।
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