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महाराष्ट्र: शिवसेना मुखपत्र सामाना में फडणवीस पर तंज- ‘टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता’

महाराष्ट्र: मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति में पिछले दो हफ्ते चल रही सियासी उठा-पटक सत्ता परिवर्तन के बाद खत्म होती नजर आ रही है। महाविकास अघाड़ी के सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल रही शिवसेना ने सरकार से बाहर होने के बाद महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस पर तीखा तंज कसा है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना […]

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महाराष्ट्र: शिवसेना मुखपत्र सामाना में फडणवीस पर तंज- ‘टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता’
  • July 2, 2022 11:52 am Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

महाराष्ट्र:

मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति में पिछले दो हफ्ते चल रही सियासी उठा-पटक सत्ता परिवर्तन के बाद खत्म होती नजर आ रही है। महाविकास अघाड़ी के सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल रही शिवसेना ने सरकार से बाहर होने के बाद महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस पर तीखा तंज कसा है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा है कि उपमुख्यमंत्री बनने वाले अचानक से मुख्यमंत्री बन गए और हम मुख्यमंत्री बनेंगे, ऐसा सोचने वाले को उपमुख्यमंत्री का पद स्वीकार करना पड़ा है। सामना में फडणवीस पर तंज कसते हुए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की एक कविता भी शेयर की गई है।

शिवसेना मुखपत्र सामना में आगे लिखा गया है कि इस ‘क्लाइमेक्स’ पर टिप्पणी, समीक्षा, परीक्षण की भारी भरमार होने के बीच ‘बड़ा मन’ और ‘पार्टी के प्रति निष्ठा का पालन’ ऐसा एक बचाव के रूप में सामने आया है। ऐसा तर्क भी दिया जा रहा है कि फडणवीस ने मन बड़ा करके मुख्यमंत्री के पद की बजाय उपमुख्यमंत्री का पद स्वीकार किया है।

सिर पर हाथ रखकर बैठ गए चाणक्य

सामना में लिखा है कि महाराष्ट्र में अस्थिरता पैदा करने के लिए जो राजनीतिक नौटंकी कराई जा रही है, उस नौटंकी के अभी कितने और भाग बाकी हैं, इस बारे में कोई भी दृढ़तापूर्वक कुछ नहीं कह सकता है। राज्य की राजनीति में घटनाक्रम ही इस तरह से घट रहे हैं या घटनाएं कराई जा रही हैं कि राजनीतिक पंडित, चाणक्य व पत्र पंडित भी आज सिर पर हाथ रखकर बैठ गए हैं।

सामना में शेयर की गई अटल जी कविता

‘छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता,
टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता
लेकिन इन पंक्तियों से पहले इसी कविता में वाजपेयी जी कहते हैं-
हिमालय की चोटी पर पहुंच,
एवरेस्ट विजय की पताका फहरा,
कोई विजेता यदि ईर्ष्या से दग्ध,
अपने साथी से विश्वासघात करे
तो उसका क्या अपराध
इसलिए क्षम्य हो जाएगा कि
वह एवरेस्ट की ऊंचाई पर हुआ था?
नहीं, अपराध अपराध ही रहेगा
हिमालय की सारी धवलता
उस कालिमा को नहीं ढक सकती!’

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