महाराष्ट्र: मुंबई। महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार में आए भूचाल के बीच आज राष्ट्रवादी कांग्रेस प्रमुख शरद पवार ने मुंबई में एनसीपी के नेताओं के साथ बैठक की। जिसमें उन्होंने महाराष्ट्र सरकार के गिरने की ओर इशारा करते हुए अपने नेताओं और विधायकों को विपक्ष में रहने के लिए तैयार रहने को कहा। एनसीपी प्रमुख […]
मुंबई। महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार में आए भूचाल के बीच आज राष्ट्रवादी कांग्रेस प्रमुख शरद पवार ने मुंबई में एनसीपी के नेताओं के साथ बैठक की। जिसमें उन्होंने महाराष्ट्र सरकार के गिरने की ओर इशारा करते हुए अपने नेताओं और विधायकों को विपक्ष में रहने के लिए तैयार रहने को कहा। एनसीपी प्रमुख के सरकार गिरने के संकेत के बाद राज्य की सियासत में सत्ता परिवर्तन की आहट साफ सुनाई दे रही है। विपक्षी दल बीजेपी के नेताओं के घर बैठकों का सिलसिला लगातार जारी है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे की पार्टी पर पकड़ लगातार कमजोर हो रही है। 35 से अधिक शिवसेना विधायकों के बागी होने के बाद अब सांसदो ने भी मोर्चा खोलना शुरू कर दिया है। जानकारी के मुताबिक 10 से अधिक शिवसेना के सांसद इस समय एकनाथ शिंदे के संपर्क में है और वो भी किसी भी वक्त बगावत कर सकते है।
बता दें कि शिवसेना विधायकों का लगातार शिंदे गुट में शामिल होना जारी है। शिवसेना, निर्दलीय और छोटे दलों के विधायकों को लेकर इस वक्त एकनाथ शिंदे असम के एक होटल में मौजूद है। जानकारी के मुताबिक शिंदे के पास करीब 40 शिवसेना के और 8 अन्य विधायक मौजूद है। जिसके बाद बाद अब मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खेमे में सिर्फ 16 विधायकों के होने की खबर है।
जानकारी के मुताबिक महाराष्ट्र के मौजूदा हालात पर भारतीय जनता पार्टी शीर्ष नेतृत्व नजर बनाये हुए है। लेकिन अभी तक बीजेपी शिवसेना की अंदरूनी लड़ाई में स्थिति साफ होने का इंतजार कर रही है। बताया जा रहा है कि बीजेपी ने सरकार बनाने की संभावनाओं पर गंभीरता से काम शुरू कर दिया है। फिलहाल कई छोटे दलों और निर्दलीय विधायकों से बीजेपी राज्य नेतृत्व संपर्क में है।
गौरतलब है कि असम के गुवाहाटी के एक होटल में डेरा जमाए शिवसेना के बागी विधायकों ने एक चिट्ठी जारी की है। इस चिट्ठी को एकनाथ शिंदे ने जारी किया है। चिट्ठी में शिवसेना शीर्ष नेतृत्व पर कई गंभीर आरोप लगाए गए है। उसमें लिखा गया है कि मुख्यमंत्री उद्धव का आवास वर्षा में सिर्फ एनसीपी और कांग्रेस के विधायकों का ही प्रवेश हो पाता था।
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