Maharashtra Migrant Labour Assemble: महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों के साथ सौतेला व्यवहार, गरीब-बेसहारा मजदूरों को क्यों खानी पड़ी लाठियां?

Maharashtra Migrant Labour Assemble: जब दो वक्त की रोटी भी गरीब मजदूरों को मुनासिब नहीं होगी तब वे अपने गृह राज्य यूपी और बिहार जाने के लिए उत्सुक होंगे ही. क्योंकि जब लॉक डाउन में प्रवासी मजदूर भूखे परेशान चेहरे पर बेचारगी लिए अपने घरों को चले तो मुंबई पुलिस ने न दर्द समझा और न दुआ दी बल्कि उन सभी पर लाठीचार्ज कर दिया. वहीं गाजियाबाद में ना सिर्फ मजदूरों को बसों में बिठाकर उनके गांव पहुंचाया गया बल्कि उनके खाने पीने की भी व्यवस्था की गई.

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Maharashtra Migrant Labour Assemble: महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों के साथ सौतेला व्यवहार, गरीब-बेसहारा मजदूरों को क्यों खानी पड़ी लाठियां?

Aanchal Pandey

  • April 15, 2020 12:17 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. कोरोना वायरस से बचाव के लिए लगाए गए लॉकडाउन में जब भूखे परेशान चेहरे पर बेचारगी लिए प्रवासी मजदूर अपने घरों को चले तो मुंबई पुलिस ने न दर्द समझा और न दुआ दी बल्कि लट्ठ बजाई, किसी ने कोई ममता नहीं दिखाई. लेकिन वहीं जब दिल्ली में तमाम राज्यों के प्रवासी मजदूर अपने घर पहुंचने की जल्दी में आ गए तो दिल्ली पुलिस ने मानवता दिखाते हुए उन्हें कहीं नहीं रोका. वो आनंद विहार आईएसबीटी पहुंचे तो भीड़ ने लाकडाउन का मकसद ही खत्म कर दिया. अमित शाह के गृह मंत्रालय ने इस पर गंभीर रुख अपनाया मगर प्रवासी मजदूरों के दर्द को भी समझा.

गृह मंत्रालय ने अपने अफसरों को दिल्ली सरकार के वरिष्ठ अफसरों के साथ मिलकर इन मजदूरों को सुरक्षित सहुलियत के साथ स्वस्थ मानवीयता से व्यवस्था बनाने तक डटे रहने के लिए लगाया. गृह मंत्रालय और दिल्ली सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने दिन रात एक करके सभी मजदूरों को सहुलियत वाले स्थानों तक न सिर्फ पहुंचाया बल्कि उनके लिए तमाम व्यवस्थायें भी कीं. शायद ऐसा ही कुछ उद्धव ठाकरे सरकार की मुंबई में भी दिखना चाहिए था लेकिन नहीं दिखा.

मुंबई बीजेपी के महामंत्री अमरजीत मिश्र का कहना है कि मुंबई मे श्रम संस्कृति के वंशजों को राज्य सरकार यह विश्वास दिलाने में असफल रही है कि उन्हें संकट के समय कोई सहयोग मिलेगा. मजदूर व गरीब वर्ग के लोगों को अब तक अस्थायी छत व भोजन की व्यवस्था भी सरकार नही कर पाई है. इतना ही नहीं सरकार के कोई भी मंत्री हिंदी भाषी समाज के ऑटो- टैक्सी ड्राईवर , फल- सब्जी बेच रहे फेरिवाले, वॉचमेन आदि आर्थिक रुप से कमजोर लोगों की तकलीफ को समझने के लिए संवाद भी नहीं कर रहे हैं.

अब जाहिर सी बात है जब दो वक्त की रोटी भी गरीब मजदूरों को मुनासिब नहीं होगी तब वे अपने गृह राज्य यूपी और बिहार जाने के लिए उत्सुक होंगे ही. ऐसे में बेबस लोगों के दर्द को राज्य की महाविकास अघाड़ी सरकार तत्काल समझे और उन्हे मुफ्त राशन और एक राशि उनके खाते में जमा करनी चाहिए. लेकिन महाराष्ट्र के सीएम की ओर से अभी तक ऐसी कोई घोषणा नहीं की गई. वहीं इसके उलट उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार अधिक संवेदनशील होकर मुंबई महाराष्ट्र के उत्तर भारतीयों की मदद करने की पूरी कोशिश कर रही है.

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