मुंबई। महाराष्ट्र की बीजेपी-शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित गुट) में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. अजित पवार के सरकार में शामिल होने के बाद से ही शिंदे गुट की नाराजगी की खबरें लगातार सामने आ रही है. इस बीच सरकार में विभागों के बंटवारे को लेकर भी सवाल खड़ हो गए हैं. बताया जा रहा है कि एकनाथ शिंदे गुट अजित खेमे को वित्त विभाग देने के हक में नहीं था. अजित पवार खेमा सहकारी, वित्त और कृषि जैसे महत्वपूर्ण विभाग लेने में कामयाब हुआ है. बता दें कि विभाग के बंटवारे में 12 दिनों का लंबा समय लगा है.
पिछले कई दिनों से चल रहे भारी घमासान के बाद अब जा कर महाराष्ट्र सरकार में मंत्रियों के विभागों का बंटवारा हो गया है कैबिनेट विस्तार के बाद जारी हुई नई सूची में अजित पवार गुट को मनचाहा विभाग मिल गया है. इस विभाजन में अजित के खेमे में योजना, सहकारी, वित्त, कृषि, खाघ और महिला विकास विभाग जैसे भारी भरकम विभाग आए है. इसी के चलते शिंदे गुट को 3 और भाजपा को 6 विभाग से हाथ धोना पड़ा है.
महाराष्ट्र सरकार में मंत्रियों के विभागों के बंटवारे से बदलाव को विस्तार में समझते हैं….
एकनाथ शिंदे गुट से तानाजी सावंत, संजय राठोड,अब्दुल सत्तार, संदीपान भुमरे और गुलाब पाटील पांचों मंत्री दिल्ली बीजेपी आलाकमान के रडार पर चल रहे थे. जानकारी के अनुसार इन्हें हटाए जाने की बात पर शिंदे ने समीकरण के जरिए इंकार कर दिया. संजय राठौड़ और अब्दुल सत्तार, इन दो मंत्रियों के विभाग में बदलाव कर दिया गया है. अब्दुल के लगातार विवादों से घिरे रहने की वजह से सरकार की छवि खराब हो रही थी. वहीं दवा विक्रेताओं का संजय पर आरोप था कि कार्यालय में उनके द्वारा भ्रष्टाचार बढ़ाया जा रहा है. विरोध प्रदर्शन करते हुए दवा विक्रेताओं ने हड़ताल की धमकी भी दी थी.
भाजपा 105 विधायकों के साथ महाराष्ट्र विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी है. सरकार के विभाग विभाजन में भाजपा के मंत्रियों के पास 25 से ज्यादा विभाग आये हैं. महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पास जल संसाधन, ऊर्जा और गृह जैसे भारी भरकम विभाग हैं.
सुधीर मुंगटीवार- वन विभाग
चंद्रकांत पाटील- उच्च शिक्षा
राधाकृष्ण विखे पाटील- राजस्व विभाग
गिरिश महाजन- ग्रामीण विकास विभाग
दिल्ली से महाराष्ट्र तक एक ही सवाल खड़ा किया जा रहा है कि, एकनाथ शिंदे के मुकाबले 30 विधायक वाले अजित गुट को ज्यादा अहमियत क्यों दी जा रही है? यही सवाल बड़ा इसलिए हो जाता है क्योंकि शिंदे गुट इसके लगातार विरोध में है. बताया जा रहा है कि अजित गुट को तरजीह देकर एनसीपी विधायकों को यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि सरकार में उन्हें पूरा सम्मान दिया जाएगा. अजीत पवार के साथ आ जाने से राज्य की भाजपा सरकार को अब कोई ख़तरा नहीं है. ऐसे हालात में अब शिंदे गुट के पास कुछ ज्यादा करने को नहीं है और यह भाजपा की एक दबाव की रणनीति है.
Maharashtra Politics: फिर महाराष्ट्र में बड़ी हलचल, मंत्रियों संग शरद पवार से मिलने पहुंचे अजित
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