मुंबई। महाराष्ट्र में शिवसेना से एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद सियासी संग्राम थमने का नाम नहीं ले रहा है। सीएम शिंदे और उद्धव ठाकरे के बीच अब असली शिवसेना पार्टी को लेकर जंग छिड़ गई है. दरअसल, दोनों के बीच ये लड़ाई चुनाव आयोग तक पहुंच गई हैं. एकनाथ शिंदे ने दावा किया […]
मुंबई। महाराष्ट्र में शिवसेना से एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद सियासी संग्राम थमने का नाम नहीं ले रहा है। सीएम शिंदे और उद्धव ठाकरे के बीच अब असली शिवसेना पार्टी को लेकर जंग छिड़ गई है. दरअसल, दोनों के बीच ये लड़ाई चुनाव आयोग तक पहुंच गई हैं. एकनाथ शिंदे ने दावा किया है कि वे असली शिवसेना (Shiv Sena) है जबकि उद्धव ठाकरे गुट ने इसे कड़ी चुनौती दी है. इसी बीच एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) और उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के गुटों को चुनाव आयोग ने नोटिस जारी किया हैं। जिसमें दोनों से बहुमत साबित करने के लिए दस्तावेज सबूत मांगे हैं। चुनाव आयोग अब अगली सुनावई 8 अगस्त को करेगा।
बता दें कि, शिवसेना यानी ठाकरे से बगावत करने वाले एकनाथ शिंदे गुट ने चुनाव आयोग (ईसी) को पत्र लिखा था जिसमें पार्टी के चुनाव चिह्न ‘धनुष-बाण’ आवंटित करने की मांग की थी. शिंदे गुट ने चुनाव आयोग को लिखे पत्र में 55 में से 40 विधायकों और 19 लोकसभा सांसदों में से 12 के समर्थन का दावा पेश किया. निर्वाचन आयोग को भेजे गए पत्र में शिंदे गुट ने असल शिवसेना होने का दावा किया था साथ ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला व महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर द्वारा दी गई मान्यता का हवाला दिया.
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में शिवसेना के 55 में से कम से कम 40 विधायकों ने बागी नेता एकनाथ शिंदे को समर्थन देने की घोषणा की थी. जिसके बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार गिर गई थी। एकनाथ शिंदे ने 30 जून को बीजेपी के समर्थन से राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी.
वहीं, एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने मंगलवार को राहुल शेवाले को लोकसभा में पार्टी का नेता घोषित किया था और पांच बार की सदस्य भावना गवली को मुख्य सचेतक के रूप में बनाए रखा था. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला (Om Birla) ने शेवाले को संसद के निचले सदन में शिवसेना के नेता के रूप में मान्यता प्रदान की थी. बता दें कि शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट ने निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि पार्टी के नाम और उसके चुनाव चिह्न पर दावों के लिए कोई भी निर्णय लेने से पहले उसके विचार को सुना जाए.
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