मुंबई। दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर केंद्र सरकार द्वारा लाए अध्यादेश के खिलाफ सीएम अरविंद केजरीवाल विपक्षी दलों का समर्थन मांग रहे हैं. केजरीवाल विपक्षी पार्टियों के सहयोग से इस अध्यादेश को राज्यसभा में पारित होने से रोकना चाहते हैं. इसके लिए वे विपक्षी नेताओं से उनके घर जाकर मुलाकात कर रहे हैं. […]
मुंबई। दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर केंद्र सरकार द्वारा लाए अध्यादेश के खिलाफ सीएम अरविंद केजरीवाल विपक्षी दलों का समर्थन मांग रहे हैं. केजरीवाल विपक्षी पार्टियों के सहयोग से इस अध्यादेश को राज्यसभा में पारित होने से रोकना चाहते हैं. इसके लिए वे विपक्षी नेताओं से उनके घर जाकर मुलाकात कर रहे हैं. सोमवार को दिल्ली में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और मंगलवार को कोलकाता में पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी से मुलाकात करने के बाद बुधवार को केजरीवाल मुंबई पहुंचे, यहां उन्होंने मातोश्री पहुंचकर शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख और पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे से मुलाकात की और अध्यादेश के खिलाफ समर्थन मांगा. इसी कड़ी में आज केजरीवाल एनसीपी प्रमुख शरद पवार से उनके मुंबई में स्थित आवास पर मुलाकात करेंगे.
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कल यानी बुधवार को महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब) के प्रमुख उद्धव ठाकरे से मुलाकात की थी. मुलाकात के बाद मीडिया से बात करते हुए केजरीवाल ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने हमसे वादा किया है कि वे संसद में हमारा समर्थन करेंगे और अगर यह विधेयक (अध्यादेश) संसद में पारित नहीं होता है तो 2024 में मोदी सरकार सत्ता में वापस नहीं आएगी. वहीं, उद्धव ठाकरे ने कहा कि हम सब देश और लोकतंत्र को बचाने के लिए एक साथ आए हैं. मुझे लगता है कि हमें ‘विपक्षी’ दल नहीं कहा जाना चाहिए, बल्कि केंद्र को ‘विपक्षी’ कहा जाना चाहिए क्योंकि वे लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ हैं.
गौरतलब है कि, केंद्र सरकार ने शुक्रवार देर रात अध्यादेश जारी कर सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को पलट दिया, जिसके तहत सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली में ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार अरविंद केजरीवाल सरकार को दिया था. अध्यादेश के मुताबिक, दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी बनाई जाएगी. इसमें तीन सदस्य- मुख्यमंत्री, दिल्ली के मुख्य सचिव और प्रमुख गृह सचिव होंगे. यह कमेटी बहुमत के आधार पर कोई भी फैसला लेगी. अगर कमेटी में फैसले को लेकर कोई विवाद पैदा होता है तो अंतिम फैसला उपराज्यपाल करेंगे. अब 6 महीने के अंदर संसद में इससे जुड़ा कानून भी बनाया जाएगा.
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