मुंबई। महाराष्ट्र में कल पूरा दिन सियासी संग्राम जारी रहा. शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे के बगावती तेवर के बाद सीएम उद्धव ठाकरे ने बड़ा फैसला लेते हुए बुधवार देर रात सरकारी आवास ‘वर्षा’ (Varsha Bungalow) को छोड़कर, मातोश्री (Matoshree) शिफ्ट कर लिया. बता दें कि सीएम आवास छोड़ने से पहले कल दिन भर वहां बैठकों […]
मुंबई। महाराष्ट्र में कल पूरा दिन सियासी संग्राम जारी रहा. शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे के बगावती तेवर के बाद सीएम उद्धव ठाकरे ने बड़ा फैसला लेते हुए बुधवार देर रात सरकारी आवास ‘वर्षा’ (Varsha Bungalow) को छोड़कर, मातोश्री (Matoshree) शिफ्ट कर लिया. बता दें कि सीएम आवास छोड़ने से पहले कल दिन भर वहां बैठकों का दौर चलता रहा. जिसके बाद सीएम उद्धव ठाकरे ने एक फेसबुक लाइव के जरिए राज्य की जनता को संबोधित किया. ठाकरे ने संबोधन के दौरान इमोशनल कार्ड खेलते हुए कहा कि यदि शिवसेना का कोई भी विधायक मुझसे कह दे तो मैं मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दूंगा लेकिन कोई मेरे साथ धोखा न करें.
बता दें कि महाराष्ट्र की राजनीति में ये पहली बार नहीं हुआ है जब पार्टी को ऐसी परिस्थितियों से गुजरना पड़ रहा है. आज से लगभग दो दशक पहले जुलाई 1992 में भी शिवसेना के अंदर का मंजर कुछ ऐसा ही था. उस वक्त शिवसेना सुप्रीमो बाला साहेब ठाकरे ने भी पब्लिकली पार्टी को छोड़ने की बात कही थी. वहीं दो दशक के बाद आज शिवसेना एक बार फिर उसी परिस्थति से गुजर रही है. बाला साहेब के बेटे उद्धव ठाकरे भी अपने पिता की राहों पर चलते हुए दिख रहे है. अपने पिता की तरह ही उद्धव ठाकरे भी शिव सैनिकों के कहने पर इस्तीफा देने को तैयार हो गए.
उस समय बाला साहेब ठाकरे ने भी इस्तीफा के ऐलान के बाद पार्टी के मुखपत्र सामना में लिखा था, ‘अगर मेरी पार्टी से जुड़े हुए एक भी शिव सैनिक उनके सामने आकर कहते हैं कि मैंने आपकी वजह से पार्टी छोड़ी या आपने हमें चोट पहुंचाई तो मैं एक मिनट के लिए भी पार्टी प्रमुख नहीं बना रहना चाहता. उस वक्त बाला साहेब ठाकरे के इस लेख का असर ये हुआ कि उनके समर्थन में लाखों शिव सैनिक उतर गए. हालांकि दिलचस्प बात ये है कि 20 साल बाद एक बार फिर इतिहास दोहराया है. उद्धव ने भी इसी तरह का दांव खेला है.
सीएम उद्धव ने बुधवार को फेसबुक लाइव के जरिए कहा कि अगर कांग्रेस और एनसीपी ये कहती है कि उद्धव ठाकरे सीएम नहीं चाहिए तो समझ सकते थे. मुझे दुख इस बात का है कि अपने लोग ये सब कह रहे हैं तो मैं तुरंत इस्तीफ़ा देने को तैयार हूं. एकनाथ शिंदे को सूरत जाने की क्या जरूरत थी. मुझे लगता है कि पद आते जाते रहते हैं.
उद्धव ने सीएम पद को लेकर कहा कि मैं मुख्यमंत्री पद छोड़ने के लिए तैयार हूं लेकिन कोई शिवसैनिक ही मुख्यमंत्री बने इससे मुझे खुशी होगी. सीएम पद पर रहने की मेरी कोई इच्छा नहीं, हमारा प्रेम बना रहेगा. ये मेरा नाटक नहीं है. संख्या जिसके पास ज़्यादा होती है वही जीतता है. कितने लोग मुझे अपना मानते हैं और और मेरे खिलाफ वोट करते हैं तो ये मेरे लिए शर्म की बात है।
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