मुंबई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की मुश्किलें बढ़ती हुई दिखाई पड़ रही है। उन्हें सरकार बनाए तीन महीने ही हुए है और साथ आए विधायकों की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। शायद इसी कारण वह अपने कैबिनेट में दोबारा विस्तार नहीं कर पा रहे हैं।
एकनाथ शिंदे गुट के विधायक भी बड़ी जिम्मेदारी के लिए अपनी दावेदारी पेश कर रहे है। सीमित मंत्रीपद के लिए विधायकों की दावेदारी को सुलझाना उनकी लिए सबसे बड़ी चुनौती है। नई सरकार बनाने में एकनाथ शिंदे के लिए 54 में से 40 विधायक साथ आए थे, जिनमें से कम से कम 37 विधायक उन्हें अपने पक्ष में रखने होगें। ताकि सरकार सकुशल चलती रहे।
महाराष्ट्र के वर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपनी ही पार्टी शिवसेना में फूट करके सरकार बनाई थी। उधर उद्धव ठाकरे गुट ने भी पार्टी पर अपनी दावेदारी साबित की है, हलांकि मामला अभी शीर्ष न्यायलय में है और उसके बाद चुनाव आयोग में भी दोनों पक्षों की याचिका लंबित है। इसलिए पार्टी पर अपनी दावेदारी साबित करने के लिए भी शिंदे को विधायकों की जरूरत है।
एकनाथ शिंदे की कैबिनेट विस्तार भले ही अधर में लटकी पड़ी हो, फिर भी मंत्री पद की दावेदारी पार्टी के अंदर से और साथी दलों से मंत्री पद की दावेदारी की जा रही है। अब एकनाथ शिंदे ज्यादा से ज्यादा 23 लोगों को ही मंत्री बना सकते हैं। जिसमें भाजपा और अन्य साथी दलों को भी शामिल करना है।
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