Maharashtra BJP Shiv Sena Govt Conflict: महाराष्ट्र में भाजपा के साथ 50-50 फॉर्मुले पर अड़े उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे को सीएम बनाना चाहती है शिवसेना, इतिहास गवाह है- पुत्र मोह सियासत का रुख मोड़ देता है

Maharashtra BJP Shiv Sena Govt Conflict: जैसे उत्तर प्रदेश में साल 2012 का विधानसभा चुनाव को जीतकर सपा के तत्कालीन मुखिया मुलायम सिंह यादव ने छोटे भाई शिवपाल यादव को किनारे करते हुए बेटे अखिलेश यादव को सीएम बनाकर सत्ता की चाबी सौंप दी थी. कुछ उसी तरह महाराष्ट्र में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे भी अपने बेटे आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनता हुआ देखना चाहते हैं लेकिन यहां परेशानी ये है कि एक तो पार्टी देवेंद्र फड़णवीस की बीजेपी के साथ गठबंधन में है. साथ ही भाजपा के पास ज्यादा विधायकों की संख्या है. उसके बावजूद भी शिवसेना सरकार बनाने के लिए 50-50 फॉर्मुले पर अड़कर बैठी है.

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Maharashtra BJP Shiv Sena Govt Conflict: महाराष्ट्र में भाजपा के साथ 50-50 फॉर्मुले पर अड़े उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे को सीएम बनाना चाहती है शिवसेना, इतिहास गवाह है- पुत्र मोह सियासत का रुख मोड़ देता है

Aanchal Pandey

  • October 30, 2019 4:45 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. एक वो भी दौर था जब मुलायम सिंह यादव साइकिल पर सवार होकर समाजवादी पार्टी का प्रचार करते. उस समय उनका सहारा छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव बने, बेटे अखिलेश यादव नहीं. शिवपाल ने अपने बड़े भाई मुलायम की राजीति में अपना भी जीवन लगा दिया लेकिन जब उत्तराधिकारी की बात आई तो मुलायम का पुत्र मोह जागा और जीती हुई सरकार का सेहरा अखिलेश के सिर पर बांध दिया. साल 2017 में जब परिवार में विवाद हुआ तो भी मुलायम करीब-करीब अखिलेश के ही पक्ष में नजर आए. जैसे यूपी में हुआ अब वही हालात महाराष्ट्र की नजर आती है. जैसे शिवसेना संस्थापक बालासाहब ठाकरे ने विरासत का हक उद्धव ठाकरे दिया उसी तरह उद्धव ने बेटे आदित्य को चुना है.

हालांकि, इस बार मामला थोड़ा सियासी हो गया क्योंकि ठाकरे परिवार का कोई मेंबर पहली बार चुनाव लड़ा और जीता. वरना बाल ठाकरे तो कभी सत्ता के पक्ष में नहीं थे. लेकिन जैसे समय बदला आदित्य ने पार्टी की सोच बदलने की कोशिश की और समझा की कुछ काम सिर्फ गद्दी पर बैठकर ही किए जा सकते हैं. इसलिए शिवसेना चाहती है कि इस बार महाराष्ट्र में बीजेपी छोटा भाई का किरदार निभाए और देवेंद्र फड़णवीस के साथ-साथ आदित्य ठाकरे को भी ढाई साल के लिए सीएम बनाया जाए.

बेटे के लिए बीजेपी से रिश्ते बिगड़ने की परवाह नहीं कर रहे उद्धव ठाकरे

यहां बात थोड़ी समझने वाली है. कुछ समय पहले लोकसभा चुनाव के दौरान भी शिवसेना और भाजपा में जमकर तंजबाजी हुई. शिवसेना की पत्रिका सामना में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र के विरोधी स्वर वाले आर्टिकल छापे गए. चुनाव में उद्धव ठाकरे की बीजेपी से कई मांग की जिनमें कुछ पर ही फैसला हुआ और आखिरकार शिवसेना ने बीजेपी से गठबंधन कर लिया.

लोकसभा चुनाव 2019 में नरेंद्र मोदी की लहर थी जिसके खिलाफ जाकर शायद शिवसेना नुकसान नहीं उठाना चाहती थी इसलिए बाद में सब ठीक हो गया. लेकिन इस बार हालात कुछ और हैं. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 के नतीजे सामने हैं जिसमें बीजेपी, शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस में से किसी के पास बहुमत नहीं. अगर भाजपा और शिवसेना गठबंधन चाहे तो सरकार आराम से बन सकती है. वहीं अगर भाजपा से बात न बने तो शिवसेना कांग्रेस और एनसीपी के समर्थन से सरकार बना सकती है.

यहां शिवसेना के पास सरकार बनाने के लिए दो विकल्प हैं. फिर भी शिवसेना के संजय राउत के बयान के अनुसार, पार्टी गठबंधन के धर्म को पूरी तरह निभाएंगे और दूसरे दलों के साथ नहीं जाएंगे, लेकिन भाजपा को 50-50 फॉर्मूले पर टिका रहना होगा. संजय राउत के बयान से साफ है कि पार्टी अपनी जिद पर अड़ी है, आदित्य ठाकरे के लिए उद्धव ठाकरे की शिवसेना अपने सहयोगी दल के खिलाफ जाने के लिए भी तैयार हो सकती है. फिर चाहे राजनीतिक रिश्ते बिगड़ते हो तो बिगड़ जाएं.

ठाकरे परिवार के राज ठाकरे की नाराजगी का कारण भी बना था उत्तराधिकारी पद

शिवसेना के लिए राज ठाकरे ने भी एक समय में जमकर मेहनत की. ठाकरे परिवार के वो ऐसे व्यक्ति बन चुके जिनका नाम राजनीतिक गलियारों में अलग-अलग मामलो में सुनाई देता. पार्टी के कार्यकर्ताओं पर भी उनकी अच्छी पकड़ थी लेकिन बालासाहब ठाकरे उद्धव ठाकरे को ही अपना उत्तराधिकारी चुन चुके थे. परिवार से नाराजगी में शिवपाल सिंह यादव ने जैसे यूपी में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बनाई उसी तरह राज ठाकरे ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) को जन्म दिया.

नोट- आर्टिकल में लिखे गए लेखक के निजी विचार हैं जिनका इनखबर से कोई लेना-देना नहीं है. 

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