महाराष्ट्र: मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा में आज शिंदे गुट और बीजेपी के गठबंधन वाली सरकार अपना बहुमत साबित करने वाली है। इसी बीच नवनियुक्त विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने उद्धव ठाकरे गुट को बड़ा झटका दिया है। स्पीकर ने सुनील प्रभु को हटाकर भरत गोगावाले को शिवसेना का मुख्य सचेतक नियुक्त किया है। शिंदे को बनाया […]
मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा में आज शिंदे गुट और बीजेपी के गठबंधन वाली सरकार अपना बहुमत साबित करने वाली है। इसी बीच नवनियुक्त विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने उद्धव ठाकरे गुट को बड़ा झटका दिया है। स्पीकर ने सुनील प्रभु को हटाकर भरत गोगावाले को शिवसेना का मुख्य सचेतक नियुक्त किया है।
महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर के कार्यालय द्वारा रविवार रात जारी पत्र में ठाकरे गुट से संबंध रखने वाले अजय चौधरी को हटाकर एकनाथ शिंदे को विधायक दल के नेता के रूप में बहाल किया गया है।
महाराष्ट्र विधानसभा के विशेष सत्र की दूसरे दिन की कार्रवाई आज सुबह 11 बजे से शुरू होगी। सत्र में शिंदे सरकार की ओर से बहुमत साबित करने के लिए विश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा। जिस पर सभी सदस्य पक्ष-विपक्ष में वोट देंगे। सत्ताधारी पार्टी बीजेपी और शिंदे गुट बहुमत को लेकर आश्वस्त है। उसे पूरी उम्मीद है कि शिंदे सरकार भारी बहुमत से विश्वास हासिल कर लेगी। इसे लेकर उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि हम विधानसभा में 166 वोटों के साथ बहुमत साबित करेंगे।
बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा के दो दिवसीय विशेष सत्र के पहले दिन रविवार को विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव हुआ। जिसमें शिंदे गुट और बीजेपी के तरफ से राहुल नार्वेकर उम्मीदवार थे और महाविकास अघाड़ी की ओर से राजन साल्वी प्रत्याशी थे। चुनाव में राहुल नार्वेकर ने आसानी से बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया। राहुल को 164 वोट मिले। वहीं दूसरी तरफ अघाड़ी उम्मीदवार राजन साल्वी को 107 वोट मिले।
गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से बगावत करने के बाद बागी विधायकों की आखिरकार 12 दिनों के बाद घर वापसी हुई है। अब सभी विधायक अपने-अपने घर जा पाएंगे। बीते 21 जून को शिंदे बगावत करके 25 से अधिक विधायकों के साथ गुजरात के सूरत में चले गए थे। इस खबर ने महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल पैदा कर दी थी। इसके बाद सभी विधायक असम की राजधानी गुवाहाटी चले गए। धीरे-धीरे विधायकों की संख्या बढ़ती गई और महाविकास अघाड़ी सरकार को समर्थन देने वाले 50 से अधिक विधायक बागी हो गए और आखिरकार उद्धव सरकार गिर गई।
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