नई दिल्ली. बीते शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के 4 वरिष्ठ जजों जस्टिस चेलमेश्वर, रंजन गोगोई, मदन लोकुर और कुरियन जोसफ ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ खुली प्रेस कॉन्फ्रेंस की. कांफ्रेस में चारों जजों ने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. ऐसे में देश के इतिहास का अभूतपूर्व संकट जारी है. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और उनके खिलाफ बग़ावत करने वाले चार वरिष्ठ जजों के बीच मतभेद आज भी नहीं सुलझ पाया है. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने विवाद का हल कराने की पहल की है. आज शाम को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने न्यायपालिका के सामने पैदा हुए असामान्य हालात पर बैठक बुलाई है. वहीं दूसरी ओर अब सुप्रीम कोर्ट के संकट पर राजनीतिक बयानबाज़ी भी तेज़ हो गई है. क्या न्यायपालिका का राजनीतिकरण हो रहा है ? आखिर कैसे खत्म होगा सुप्रीम कोर्ट के शीर्ष जजों के बीच मतभेद. इस मामले के बाद बार काउंसिल और बार एसोसिएशन की सक्रियता बढ़ गई. ये विवाद कैसे सुलझेगा इसपर आद चारों जजों और चीफ जस्टिस की बैठक होने की उम्मीद थी लेकिन 4 में से 3 जजों के दिल्ली से बाहर होने के कारण ये नहीं हो सका. बार काउंसिल चीफ जस्टिर और चारों जजों के बीच संघर्ष विराम कराने के लिए मंथन में जुटा है.
दरअसल जिस देश में आम जनता सुप्रीम कोर्ट की ओर इंसाफ की आखिरी उम्मीद के तौर पर देखती हो, उसी सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों द्वारा चीफ जस्टिस चीफ जस्टिस के खिलाफ आखिर ये खुली बगावत क्यों की गई? क्या सर्वोच्च न्यायपालिका और देश का लोकतंत्र खतरे में है.
महाबहस: आखिर सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने चीफ जस्टिस के खिलाफ क्यों की खुली बगावत?
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