तीन तलाक के खिलाफ सरकार इसी हफ्ते संसद में बिल पेश करने जा रही है. ऐसे में इस बिल को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने विरोध जताया है. बोर्ड का कहना है कि ये कानून महिलाओं के लिए भी परेशानी बनेगा क्योंकि अगर तलाक देने के बाद पुरुष को 3 साल की सजा सुनाई गई को महिला और उसके बच्चों को गुजारा भत्ता कौन देगा.
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित कर दिया लेकिन फिर भी देश में तीन तलाक दिए जाने का सिलसिला जारी है. ऐसे में अब सरकार तीन तलाक देने वालों के खिलाफ कानून बनाने जा रही है तो भी मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को दिक्कत है. द मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज बिल इसी हफ्ते संसद में पेश होने की उम्मीद है. लेकिन इस बिल का विरोध कर रहे ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसपर चर्चा के लिए 24 दिसंबर को लखनऊ में आपात बैठक बुलाई थी. जिसमें कहा गया कि केंद्र सरकार जो कानून बनाने जा रही है वो संविधान के खिलाफ है. उनका कहना है कि सरकार मुस्लिम पुरुषों से तलाक देने का अधिकार ही छीन रही है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अनुसार इस कानून से मुस्लिम महिलाओं को भी परेशानी होगी क्योंकि अगर तलाक देने के बाद पुरुष को 3 साल की सजा हो गई तो महिला और उसके बच्चों को गुजारा भत्ता कौन देगा.
सुप्रीम कोर्ट ने इस साल अगस्त में ही तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया था. ऐसे में कोर्ट के फैसले को पूरी तरह से अमल में लाने के लिए ही सरकार ये कानून बनाने जा रही है. बता दें कि तीन तलाक को लेकर कई ऐसे मामले सामने आए थे जिसमें पीड़ित महिलाओं ने सरकार से इसपर रोक लगाने की अपील की थी. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के इस विरोध को देखते हुए सवाल उठता है कि क्या कानून बनाने से बंद नहीं होगा तीन तलाक? इस मुद्दे को लेकर इंडिया न्यूज के कार्यक्रम ‘महाबहस’ में चर्चा की गई –
मुस्लिम लॉ बोर्ड ने तीन तलाक बिल को बताया संविधान विरोधी, कहा- ये बिल कई परिवारों को बर्बाद कर देगा
तीन तलाक बिल के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बुलाई आपात बैठक