मद्रास हाईकोर्ट ने बैंकों के लोन देने की प्रक्रिया और मापदंड पर सवाल उठाए हैं. कोर्ट ने कहा कि बैंक अरबपति कारोबारियों और मध्यम वर्ग या गरीबों को लोन देने के लिए अलग-अलग मापदंड अपनाते हैं.
चेन्नई. मद्रास हाईकोर्ट ने बैंकों के द्वारा लोन देने की प्रक्रिया और मापदंड पर सवाल खड़े किए हैं. मद्रास हाईकोर्ट ने बैंकों को फटकार लगाते हुए कहा कि बैंक अमीर कारोबारियों और गरीबों को लोन देने के लिए अलग-अलग मापदंड अपनाते हैं. कोर्ट ने कहा कि गरीबों से पूछताछ की जाती है, जबकि अमीरों से बिना कोई सवाल किए उनका लोन पास कर दिया जाता है.
मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि बैंक बिना पर्याप्त सिक्योरिटी के अमीर कारोबारियों को लोन दे देता है या लेटर्स ऑफ अंडरस्टैंडिंग (LoU) पास कर देता है. इसके बाद जब घोटाला सामने आता है और चीजें हाथ से निकल जाती हैं, तो बैंक लोन की रिकवरी के लिए एक्शन लेता है. हाईकोर्ट ने साथ ही कहा कि दूसरी तरफ मध्यम वर्ग और गरीब लोगों के मामले में बैंक अलग मापदंड अपनाते हैं. उनसे सारे कागजात लेते हैं और पुख्ता जांच के बाद भी बड़ी मुश्किल से लोन पास करते हैं.
जस्टिस केके शशिधरन और जस्टिस पी. वेलमुरुगन की डिविजन बेंच ने यह टिप्पणी इंडियन ओवरसीज बैंक (आईएबी) द्वारा एक सिंगल जज के आदेश के खिलाफ अपील को खारिज करते हुए की. जजों ने कहा कि बैंक केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए निर्देशों को लेकर गंभीर नहीं हैं. बता दें कि एक लड़की ने 5 साल पहले इंडियन ओवरसीज बैंक में एजुकेशन लोन के लिए आवेदन किया था, लेकिन बैंक ने उसे लोन देने से इनकार कर दिया था. हाईकोर्ट की ये टिप्पणी तमिलनाडु की इंजीनियरिंग छात्रा द्वारा लगाई गई याचिका की सुनवाई के दौरान की.
छह महीने जेल में सजा काटकर रिहा हुए कोलकाता हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस सीएस कर्णन
अब 4 पूर्व जजों ने CJI दीपक मिश्रा को लिखा खुला पत्र, कहा- न्यायपालिका के अंदर ही सुलझे मामला