Madras High Court on Religious Issues: श्रीरंगम मठ के नए पुजारी की नियुक्ति पर फैसले से करने से इंकार करते हुए मद्रास हाई कोर्ट ने कहा है कि कोर्ट को ऐसे मामलों में दखल से बचना चाहिए.
चेन्नई. मद्रास हाईकोर्ट ने शनिवार को श्रीरंगम मठ के नए पुजारी की नियुक्ति करने से इंकार करते हुए कहा कि कोर्ट को धार्मिक मामलों में दखल देने से बचना चाहिये. न्यायमूर्ति वी पार्थिबान और न्यायमूर्ति कृष्णन रामसामी के एक खंडपीठ ने श्रीरंगम श्रीमथ अंडवन आश्रम के 12 वें पोंटिफ के रूप में यमुनाचारीय की नियुक्ति को रोकने से इनकार कर दिया.
दरअसल श्रीमंत श्रीमुष्मन अंडवन आश्रम के एक अनुयायी एस वेंकट वाराधन ने आश्रम के 11 वीं पुजारी की नियुक्ति में गड़बड़ी का दावा करते हुए हाईकोर्ट से दखल देने और 20 और 21 अक्टूबर को होने वाले यमुनाचारीय की आश्रम स्वीकारम और पत्ताभिषेक उत्सवम को रोकने को कहा था. हालांकि, यह सोचकर कि पीआईएल के माध्यम से इस तरह की राहत कैसे मांगी जा सकती है, तत्काल आधार पर याचिका सुनने के लिए गठित विशेष खंडपीठ ने कहा कि जब लाखों भक्त उत्सुकता से समारोह की प्रतीक्षा कर रहे हैं, तो इसे रोका नहीं जा सकता है.
खंडपीठ ने आगे कहा कि जब चुनौती मुख्य रूप से 11 वें पुजारी द्वारा निष्पादित इच्छा पर आधारित होती है, तो इसे केवल सिविल कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है, न कि उच्च न्यायालय के सामने. इसके अलावा, जब मठ और इसकी गतिविधियां केवल एक विशेष समुदाय के लिए हैं तो ऐसे मुद्दों को निजी और सार्वजनिक नहीं माना जा सकता है. बेंच ने मठ और हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ एंडॉवमेंट विभाग के लिए दो सप्ताह बाद याचिका पोस्ट की.